कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भारत विरोधी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं। उन्‍होंने ताजा विवाद में हिंदुओं के स्‍वास्तिक चिह्न को नफरत फैलाने वाला करार दिया है। सोशल मीडिया एक्‍स पर ट्रूडो ने लिखा कि वह नफरत फैलाने वाले चिह्नों को संसद के पास प्रदर्शित करने की इजाजत नहीं दे सकते।

उन्‍होंने आज सुबह ट्वीट किया,” जब हम घृणित भाषा और कल्‍पना देखते या सुनते हैं, तो हमें इसकी निंदा करनी चाहिए। पार्लियामेंट हिल पर किसी व्‍यक्ति द्वारा स्‍वास्तिक का प्रदर्शन अस्‍वीकार्य है। कनाडाई लोगों को शांतिपूर्वक एकत्र होने का अधिकार है, लेकिन हम यहूदी विरोधी भावना, इस्‍लामोफोबिया या किसी भी प्रकार की नफरत को बर्दाश्‍त नहीं कर सकते।”

सोशल मीडिया पर लोग ट्रूडो के इस ट्वीट के लिए आलोचना कर रहे हैं और बता रहे हैं कि स्‍वास्तिक चिह्न पवित्रता का प्रतीक है, जबकि नाजियों का चिह्न हेकेनक्रूज नफरत का प्रतीक है। कुछ दिनों पहले ही जस्टिन ट्रूडो ने संसद में बुलाकर एक नाजी युद्ध अपराधी को सम्‍मानित किया था। इसके बाद चहुंओर आलोचना हुई थी, जिसमें कनाडा का स्‍पीकर को इस्‍तीफा देना पड़ा था।

बता दें कि जस्टिन ट्रूडो सिख आतंकी हरदीप सिंह निज्‍जर की हत्‍या कराने का बेबुनियाद आरोप भारत पर भरी कनाडाई संसद में लगा चुके हैं। इसके बाद से दोनों देशों के रिश्‍ते तल्‍ख हैं। ट्रूडो भारत के खिलाफ काम करने वाले खालिस्‍तान समर्थक आतंकियों की तरफ झुकाव रखते हैं। कनाडाई पीएम लंबे समय से हिंदू प्रतीक स्‍वास्तिक पर बैन लगाने की फिराक में है। हालांकि, अभी तक वह इस पर फैसला नहीं ले पाए हैं। कनाडा की संसद में इस बाबत एक विधेयक भी लाया जा चुका है।

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