Canada Student Protest: कनाडा में भारतीय छात्र सड़क पर उतर आए और मुल्क की जस्टिन ट्रूडो सरकार के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन किया। सरकार द्वारा बनाई गई नई नीतियों के कारण भारतीय छात्रों को डर सता रहा है कि उन्हें देश से निकाला जा सकता है, जिसके चलते वे इस नीति के खिलाफ विरोध कर रहे हैं। नई नीति के चलते अंतर्राष्ट्रीय छात्रों और ज्यादातर भारतीय छात्रों के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं। इस नीति ने 70,000 से अधिक स्नातक छात्रों के भविष्य को अनिश्चितता में डाल दिया है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कनाडा के प्रिंस एडवर्ड आइलैंड प्रांत में भारतीय छात्रों ने तीन महीने से ज़्यादा समय तक विधानसभा के सामने डेरा जमाए रखा और अचानक नीतियों में हुए परिवर्तन का विरोध किया। इसी तरह ओंटारियो, मैनिटोबा और ब्रिटिश कोलंबिया प्रांतों में भी इसी तरह के प्रदर्शन देखे गए।

क्यों कनाडा सरकार ने लिया ये फैसला?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नई नीतियों का उद्देश्य स्थायी निवास नामांकन की संख्या में 25 प्रतिशत की कमी लाना तथा अध्ययन परमिट को सीमित करना है। यह बदलाव ऐसे वक्त में आया, जब पिछले कुछ सालों में देश में जनसंख्या में बढ़ गई है। पिछले साल कनाडा में जनसंख्या वृद्धि का लगभग 97 प्रतिशत हिस्सा अप्रवासन के कारण हुआ था। बता दें कि छात्र वकालत समूह नौजवान सपोर्ट नेटवर्क के प्रतिनिधियों ने कहा है कि इस वर्ष के अंत में जब उनके वर्क परमिट की अवधि समाप्त हो जाएगी, तो स्नातकों को निर्वासित किए जाने का खतरा होगा।

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एक पूर्व छात्रा ने बयां किया दर्द

इस मुद्दे पर पूर्व अंतर्राष्ट्रीय छात्रा महकदीप सिंह ने कहा है कि मैंने अपने जीवन के सबसे महत्वपूर्ण छह वर्ष कनाडा आने के लिए कई जोखिम उठाते हुए बिताए है। उन्होंने कहा है कि पिछले 6 वर्षों में मैंने पढ़ाई की, काम किया, कर चुकाया, पर्याप्त सीआरएस (व्यापक रैंकिंग प्रणाली) अंक अर्जित किए, लेकिन सरकार ने हमारा फायदा उठाया। उन्होंने बताया कि स्थायी नागरिक बनने की आशा के चलते अपने परिवार की जीवनभर की बचत कॉलेज की ट्यूशन फीस पर खर्च कर दी थी।

ट्रूडो सरकार पर है दबाव

गौरतलब है कि स्थानीय आवास और नौकरियों के संकट के बीच, प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की सरकार पर अस्थायी निवासियों की संख्या कम करने का दबाव है, जिसमें हाल के वर्षों में आश्चर्यजनक वृद्धि देखी गई है। अगले साल होने वाले चुनाव से पहले आए चुनावी सर्वे में पीएम चुनावी सर्वेक्षणों में पीछे चल रहे हैं।

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बता दें कि कनाडा सरकार अपने यहां अस्थायी विदेशी श्रमिकों की संख्या भी कम कर रही है, जिससे 2022 में कार्यक्रम का विस्तार करने का उसका निर्णय पलटा गया है। रोजगार और सामाजिक विकास कनाडा (ईएसडीसी) के अनुसार, 2023 में 183,820 अस्थायी विदेशी कर्मचारी परमिट दिए गए, जो 2019 से 88 प्रतिशत की वृद्धि है।

नए बदलावों के तहत उन क्षेत्रों में वर्क परमिट देने से मना कर दिया जाएगा, जहां बेरोजगारी दर 6 प्रतिशत या उससे अधिक है। इन बदलावों से कृषि, खाद्य प्रसंस्करण, निर्माण और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों को छूट मिलेगी।