कनाडा और भारत के बीच तनाव अभी भी बरकरार है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्तानी लीडर हरदीप सिंह निज्जर की मौत में भारत का हाथ बताया था जिसके बाद भारत ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी। इस तनातनी के बीच कनाडा में रह रहे भारतीय क्षेत्र काफी मुश्किल में हैं। इसकी वजह है उन्हें नौकरी ना मिल पाने का डर है। एक रिपोर्ट के मुताबिक 2022 में कुल 226,450 भारतीय छात्र पढ़ाई के लिए कनाडा पहुंचे थे, यह एक बड़ी संख्या है। इनमें से 551,405 को पिछले साल कनाडा में शिक्षा परमिट प्राप्त हुआ था।

क्यों है भविष्य की चिंता? 

न्यूज़ एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक कनाडा में रह रहे ऐसे छात्र बड़ी तादाद में हैं जिन्हें भारत-कनाडा के बीच जारी तनाव के बीच अपने भविष्य की चिंता सता रही है। एक छात्र ने नाम ना छापने की शर्त पर कहा,””मुझे भारत-कनाडा तनाव को लेकर कोई खास चिंता नहीं है। मैं अपने भविष्य को लेकर ज्यादा चिंतित हूं। यहां नौकरियों की भारी कमी है और मुझे नहीं पता कि पढ़ाई पूरी होने के बाद मुझे काम मिलेगा भी या नहीं।” 

क्या कहते हैं छात्र?

 ग्रेटर टोरंटो इलाके में एक संस्थान में स्वास्थ्य सेवाओं की पढ़ाई कर रहे अन्य छात्र मयंक ने भी अपना दर्द बयां किया। उन्होंने कहा कि दिल्ली और ओटावा के बीच जारी कूटनीतिक गतिरोध में उन्हें और उनके दोस्तों को किसी प्रकार की मुश्किल तो नहीं हुई लेकिन टोरंटो में पढ़ाई पूरी होने के बाद काम न मिलने के ख्याल ने उनकी रातों की नींद उड़ा रखी है। 

उन्होंने कहा, ”मैं मेडिकल डिग्री वाले ऐसे कई भारतीय छात्रों को जानता हूं, जो उचित वेतन वाली नौकरियां पाने में विफल रहे औ आज अपने खर्चों को पूरा करने के लिए गाड़ियां चला रहे हैं, दुकानों और रेस्तरां पर काम कर रहे हैं। यह हमारे लिए एक बहुत ही चुनौतीपूर्ण स्थिति है।” टोरंटो और कनाडा के अन्य शहरों में जीवन यापन मंहगा होना भी छात्रों की परेशानी की एक अहम वजह है, जिसकी वजह से बहुत सारे छात्र पैसे बचाने के लिए एक कमरे में रहते हैं और अन्य सुविधाओं का साझा इस्तेमाल करते हैं।