अलेप्पो में विद्रोहियों के आखिरी गढ़ वाले इलाकों में रविवार (18 दिसंबर) को दर्जनों बसों ने प्रवेश करना शुरू कर दिया, ताकि हजारों सीरियाई नागरिकों और विद्रोहियों को निकाला जा सके। इस निकासी अभियान को शुक्रवार को स्थगित कर दिया था। इसके एक दिन पहले लोगों का एक काफिला विद्रोहियों के सेक्टरी से रवाना हुआ था। यह एक समझौते के तहत हुआ था जो शासन को युद्धग्रस्त शहर का पूरा कब्जा लेने की इजाजत देता है। सरकारी समाचार एजेंसी सना ने विद्रोहियों के हवाले से बताया है कि बसें आज कई इलाकों में प्रवेश करना शुरू कर गईं। ये रेड क्रीसेंट और इंटरनेशनल कमेटी ऑफ द रेड क्रॉस की निगरानी में प्रवेश कर रही हैं ताकि शेष चरमपंथियों और उनके परिवारों को बाहर लाया जा सके। एक सैन्य सूत्र ने पुष्टि की है कि एक नया निकासी समझौता हुआ है। सरकारी टेलीविजन ने कहा है कि 100 बसें अलेप्पो से लोगों को बाहर ले जाएगी। निकाले जाने की कार्रवाई बहाल होने में मुख्य बाधा दो शिया गांवों से निकाले जाने वाले लोगों की संख्या को लेकर मतभेद थे। लोगों को निकालने पर असहमति का होना था। येगांव उत्तर पश्चिम सीरिया में विद्रोहियों के कब्जे में हैं।

विद्रोहियों के एक प्रतिनिधि ने रविवार को बताया कि नया समझौता हुआ है जिसके तहत निकासी अलेप्पो से दो चरणों में होगी। उधर, न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद आज एक बैठक करने वाली है जिसमें फ्रांस के उस प्रस्ताव पर वोट डाला जाएगा जिसमें निकासी की निगरानी करने के लिये निगरानीकर्ताओं को अलेप्पो भेजे जाने और नागरिकों के संरक्षण पर रिपोर्ट तैयार करने की बात है। मसौदा के मुताबिक परिषद मानवीय संकट बदतर होने से चिंतित है और अलेप्पो में हजारों लोगों को मदद और निकासी की जरूरत है। फ्रांसीसी राजदूत फ्रांस्वा देलातरे ने 1995 के बोसनियाई युद् नरसंहार का जिक्र करते हुए कहा, ‘इस प्रस्ताव के जरिए हमारा लक्ष्य सैन्य अभियानों के बाद एक और संकट को फौरन टालना है।’ लेकिन इस प्रस्ताव को वीटो धारी रूस के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। रूस सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद का एक मुख्य समर्थक है। गौरतलब है कि अलेप्पो ने करीब छह साल के युद्ध में सबसे भीषण हिंसा का सामना किया है जिसमें 310,000 से अधिक लोग मारे गए हैं।