ब्रिटेन की सुप्रीम कोर्ट सोमवार (5 दिसंबर) से उच्च न्यायालय के उस निर्णय के खिलाफ सुनवाई करेगी जिसकी व्यवस्था में कहा गया है कि यूरोपीय संघ छोड़ने की प्रक्रिया शुरू करने से पहले सरकार के लिए संसद से मंजूरी लेना अनिवार्य है। यह याचिका सरकार ने दायर की है। उच्च न्यायालय के इस निर्णय से संवैधानिक टकराव की स्थिति पैदा हो गयी है जिसने राजनीतिक तनाव को और बढ़ा दिया है। हाईकोर्ट ने पिछले महीने नाटकीय रूप से फैसला दिया था कि प्रधानमंत्री टेरीजा मे की सरकार के पास यूरोपीय संघ की लिस्बन संधि का अनुच्छेद 50 उद्धृत करने का अधिकार नहीं था। यह संधि यूरोपीय संघ की सदस्यता छोड़ने की औपचारिक प्रक्रिया है। फैसले से ब्रेक्जिट समर्थकों में नाराजगी पैदा हो गयी जिन्हें डर है कि यूरोपीय संघ में बने रहने का समर्थन कर रहे सांसद ब्रिटेन के संगठन छोड़ने में देर करने या उसका रुख नरम करने की कोशिश कर सकते हैं। उन्होंने मामला सर्वोच्च न्यायालय में जाने के साथ इसे लेकर संभावित ‘संवैधानिक संकट’ की चेतावनी दी है। 23 जून को हुए जनमत संग्रह में ब्रिटेन ने यूरोपीय संघ छोड़ने के पक्ष में मतदान किया था। देश के 52 प्रतिशत लोगों ने ब्रेक्जिट का समर्थन किया था।