ब्रितानी प्रधानमंत्री टेरेसा मे ने यूरोपीय संघ से होने वाले आव्रजन पर कार्रवाई करने का संकल्प लिया है और साथ ही आव्रजन के लिए प्वॉइंट आधारित प्रणाली को लागू करने पर संदेह जाहिर किया है। ब्रिटेन के यूरोपीय संघ को छोड़ने के फैसले के मद्देनजर टेरेसा की आव्रजन नीति से जुड़ी योजना चर्चा का प्रमुख विषय रही। टेरेसा जी20 सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए चीन गई हैं। टेरेसा ने शनिवार (3 सितंबर) को संवाददाताओं को बताया, ‘वे (मतदाता) यूरोपीय संघ से लोगों के आगमन को नियंत्रित करने की योग्यता चाहते हैं। निश्चित तौर पर मैं भी यही कहती हूं कि पूर्व की तरह (प्रवासियों का) मुक्त प्रवाह नहीं होना चाहिए।’ बीते 23 जून को हुए जनमत संग्रह में ब्रिटेन ने 52 प्रतिशत वोटों के साथ यूरोपीय संघ से अलग होने का जनादेश हासिल किया था। इस जनमत संग्रह से पहले चलाए गए प्रचार अभियान में सबसे अहम मुद्दा आव्रजन का ही था।
इस जनमत संग्रह के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने इस्तीफा दे दिया था और उनके बाद टेरेसा ने इस पद को संभाला था। हालांकि टेरेसा ने खुद यूरोपीय संघ के साथ रहने के पक्ष में प्रचार किया था लेकिन अब उन्होंने ब्रेग्जिट को लागू करने का वादा किया है। जनमत संग्रह के नतीजों के बाद से नई सरकार इस दुविधा से जूझ रही है कि किस तरह ब्रिटेन यूरोपीय संघ के एक मूल सिद्धांत का उल्लंघन करते हुए शेष 27 देशों से आव्रजन भी रोक दे और इस संघ के एकल बाजार तक अपनी पहुंच भी बनाए रखे।
विदेश मंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा है कि ये दोनों चीजें तभी हासिल की जा सकती हैं, जब ऑस्ट्रेलियाई मॉडल की तरह की प्वाइंट आधारित आव्रजन प्रणाली लागू की जाए। लेकिन टेरेसा ने ब्रिटेन की पूर्व गृहमंत्री के रूप में अपनी विशेषज्ञता का इस्तेमाल करते हुए ऐसे रुख पर संदेह जाहिर कर दिया है। उन्होंने कहा, ‘एक प्रमुख मुद्दा यह है कि प्वाइंट आधारित प्रणाली काम करती है या नहीं, लेकिन मेरा यह कहना है कि ब्रितानी लोग नहीं चाहते कि पूर्व की तरह (प्रवासियों का) मुक्त प्रवाह जारी रहे। हम इस इच्छा की पूर्ति करेंगे।’

