22 से 24 अगस्त के बीच दक्षिण अफ्रीका में होने जा रही ब्रिक्स देशों की मीटिंग कई मायनों में महत्वपूर्ण है। LAC विवाद के बीच चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से पीएम नरेंद्र मोदी की द्विपक्षीय मीटिंग की संभावना जताई जा रही है।

हालांकि मीटिंग में रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन शिरकत नहीं करेंगे। इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) ने उनके खिलाफ वारंट जारी कर रखा है। इस वजह से वो रूस में ही रहेंगे। इस साल में ये दूसरी बार है जब शी जिनपिंग चीन की सीमा को लांघने जा रहे हैं। इससे पहले वो रूसी राष्ट्रपति पुतिन से मिलने उनके देश में गए थे।

2019 के बाद पहली बार मिलेंगे ब्रिक्स के नेता

कास बात है कि 2019 के बाद से ये पहली बार है जब ब्रिक्स देशों के नेता खुद मीटिंग में शिरकत करेंगे। अभी तक वर्चुअल मोड पर मीटिंग आयोजित हो रही थी। कोरोना की वजह से इस तरह की व्यवस्था अमल में लाई गई थी। ब्रिक्स में भारत के अलावा रूस, चीन, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। ब्रिक्स देशों की ये 15वीं मीटिंग है। ब्रिक्स इस वजह से अहम है, क्योंकि पांच देशों की आबादी दुनिया की 42 फीसदी है। पांचों देशों की जीडीपी मिलाकर दुनिया की 27 फीसदी है। इस बार ब्रिक्स की थीम रहेगी- ब्रिक्स और अफ्रीका।

विदेश मंत्रालय का कहना है कि ब्रिक्स देशों की बैठक में अभी तक की प्रगति के साथ भविष्य की योजनाओं पर मंथन किया जाएगा। भारत के लिए अच्छी बात है कि ब्रिक्स में शामिल देशों के राष्ट्राध्यक्षों से पीएम मोदी की वन टू वन मुलाकात हो सकती है। मोदी के साथ एक बिजनेस डेलीगेशन भी ब्रिक्स की मीटिंग में जा रहा है।

भारत मानता है कि ब्रिक्स में और देश जुड़ें तो रहेगा बेहतर

भारत का बिजनेस डेलीगेशन ब्रिक्स बिजनेस ट्रैक मीटिंग के साथ बिजनेस काउंसिल, वुमैन बिजनेस काउंसिल और बिजनेस फोरम मीटिंग में भी शिरकत करेगा। विदेश मंत्रालय का कहना है कि ब्रिक्स के विस्तार को भारत एक पॉजिटिव साइन की तरह से देख रहा है। जितने ज्यादा देश संगठन के साथ जुडे़ंगे उतना ही फायदा मिल सकेगा। भारत का मानना है कि ज्यादा देशों की भागीदारी से ज्यादा संभावनााएं बन सकती हैं।