ओबामा प्रशासन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाल में समाप्त हुई अमेरिका यात्रा को ‘ऐतिहासिक’ करार देते हुए भारत-अमेरिका संबंधों के उनके दृष्टिकोण को ‘मोदी सिद्धांत’ का नाम दिया है और कहा है कि इस सिद्धांत ने ‘इतिहास की हिचकिचाहट’ को दूर किया है और यह संबंध वैश्विक कल्याण के लिए काम कर रहा है। दक्षिण एवं मध्य एशिया के लिए सहायक विदेश मंत्री निशा देसवाई बिस्वाल ने कहा, ‘इस सप्ताह की यात्रा और इससे पहले किए गए वर्षों के प्रयास से मेरे दिमाग में सबसे महत्वपूर्ण परिणाम के रूप में वह स्पष्ट एवं दमदार दृष्टिकोण आता है जिसे अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने तैयार किया।’
निशा ने कहा, ‘इस दृष्टिकोण, जिसे मैं ‘मोदी सिद्धांत’ कहती हूं, ने एक विदेश नीति तैयार की जिसने इतिहास की हिचकिचाहट को दूर किया और दोनों देशों एवं हमारे साझा हितों के बीच समानता को गले लगाया।’ निशा ने गुरुवार (9 जून) को यहां ‘मोदी यात्रा के सुरक्षात्मक एवं रणनीतिक परिणाम’ विषय पर चर्चा के दौरान यह बात कही। इस चर्चा का आयोजन एक अमेरिकी थिंक टैंक ‘हेरीटेज फाउंडेशन’ और नई दिल्ली के एक थिंक टैंक ‘द इंडिया फाउंडेशन’ ने किया था।
निशा ने कहा कि मोदी ने अपने भाषण में भारत-अमेरिका की साझीदारी के अपने साहसिक दृष्टिकोण को सामने रखा जो एशिया से लेकर अफ्रीका और हिंद महासागर से लेकर प्रशांत महासागर तक शांति, समृद्धि एवं स्थिरता का मार्ग प्रशस्त कर सकता है और वाणिज्य के समुद्री मार्गों की सुरक्षा एवं समुद्रों में नौवहन की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करने में मदद कर सकता है।
निशा ने कहा, ‘यह मोदी सिद्धांत कहता है कि आपसी सहमति से बनाई गई सुरक्षा व्यवस्था की अनुपस्थिति से अनिश्चितता पैदा होती है और यह सिद्धांत अंतरराष्ट्रीय कानूनों एवं नियमों के लिए भारत के समर्थन को दोहराता है और अन्य देशों से भी समर्थन की अपील करता है।’ उन्होंने कहा कि भारत अब एशिया के लिए पुनर्संतुलन की ओबामा प्रशासन की उस रणनीति का अहम घटक है जो इस बात को स्वीकार करती है कि अमेरिका की सुरक्षा एवं समृद्धि भारत-प्रशांत की सुरक्षा एवं समृद्धि पर बहुत निर्भर करती है।
निशा ने कहा, ‘पिछले वर्ष जारी संयुक्त रणनीतिक दृष्टिकोण ने भारत-प्रशांत और विश्वभर में हमारे साझे लक्ष्यों और हितों को निर्धारित किया। अब हम वह रोडमैप लागू कर रहे हैं जो इन लक्ष्यों को हासिल करने एवं इन हितों की रक्षा करने में सहयोग के मार्ग को प्रशस्त करता है।’
भारत में अमेरिका के राजदूत रिचर्ड वर्मा ने कहा कि अमेरिका प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण का स्वागत करता है और इसमें शामिल होता है। उन्होंने कहा, ‘हमने भारत को, जैसा कि विदेश सचिव एस जयशंकर ने कहा है, एक प्रमुख ताकत बनने में समर्थन देने का एक स्पष्ट एवं रणनीतिक चयन किया है।’ भारत में अमेरिका के राजदूत रिचर्ड वर्मा ने कहा ‘हम भारत को ऐसी प्रमुख शक्ति के तौर पर देखते हैं जो अंतरराष्ट्रीय मानकों को बरकरार रख सकता है और जो एशिया में, जैसा कि रक्षा मंत्री कार्टर ने पिछले सप्ताह कहा था, एक ‘सैद्धांतिक सुरक्षा नेटवर्क’ को सहयोग दे सकता है। एक ऐसी प्रमुख शक्ति जो अपनी अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ा सकती है और उसी दौरान स्वच्छ ऊर्जा और जलवायु पर वैश्विक नेतृत्व दर्शा सकती है।’
वर्मा ने कहा ‘एक ऐसी प्रमुख शक्ति जो साझा वैश्विक हितों की रक्षा के लिए समान सोच वाले भागीदारों के साथ जुड़ती है। इस दृष्टिकोण को हकीकत में बदलने के लिए वॉशिंगटन और दिल्ली दोनों जगहों पर नौकरशाही की ओर से अथक परिश्रम की तथा सर उठा सकने वाली बाधाओं से निपटने के लिए लचीलेपन की जरूरत होगी।’
अमेरिका में भारतीय राजदूत अरुण के सिंह ने प्रधानमंत्री के दौरे को ‘ऐतिहासिक’ बताया। सिंह ने कहा ‘मिलजुलकर काम करने की आदत बनाने के लिए और विश्वास बहाली के लिए कदम दर कदम उठाने की जरूरत है। इसके लिए उच्चतम स्तर पर नियमित बैठकों सहित अन्य कदम उठाने होंगे।’ राजनीतिक पक्ष के बारे में उन्होंने कहा ‘हम भले ही हर पहलू को लेकर सहमत न हों, लेकिन हमारे हितों और मुद्दों के आकलन को लेकर हमारा तालमेल बढ़ रहा है।’
कांग्रेस में प्रधानमंत्री का संबोधन उस तथ्य का परिचायक था कि यह बढ़ता तालमेल भारत और अमेरिका के हित में है। आतंकवाद, हिंद महासागर में स्थिति, एशिया प्रशांत क्षेत्र, साइबर मुद्दे आदि तालमेल के क्षेत्र हैं। सिंह के अनुसार, दोनों देशों ने माना है कि स्वच्छ उर्जा भागीदारी का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र होगा। इन टिप्पणियों के बाद एक पैनल बहस हुई जिसमें पूर्व भारतीय राजनयिक जी पार्थसारथी, संसद सदस्य बैजयंत पांडा, वाइस एडमिरल (सेवानिवृत्त) शेखर सिन्हा, अमेरिकन इंटरप्राइज इन्स्टीट्यूट के रेसीडेन्ट फेलो सदानंद धूमे और कारनेजी एंडावमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस के एशले जे टेलीज ने हिस्सा लिया।
पांडा ने कहा कि अमेरिकी विदेश विभाग के कुछ वरिष्ठ लोगों ने प्रधानमंत्री के भाषण को तथा भारत अमेरिका संबंध के उनके दृष्टिकोण को ‘मोदी सिद्धांत’ कहा है। उन्होंने कहा ‘‘यह सिक्के का भारतीय हिस्सा नहीं है। यह सिक्के का अमेरिकी हिस्सा है जो मेरे विचार से, इसे परिभाषित करने का बहुत महत्वपूर्ण तरीका है। इसलिए स्पष्ट रूप से यह रुख में ऐतिहासिक बदलाव है।’