कभी दुनिया के मोस्ट वॉन्टेड आतंकी रहे ओसामा बिन लादेन के परिवार द्वारा चलाया जा रहा कंस्ट्रक्शन बिजनेस एंपायर भीषण आर्थिक तंगहाली से गुजर रहा है। इस कंपनी के खिलाफ सड़कों पर प्रदर्शन हो रहेे हैंं। कंपनी अपने हजारों कर्मचारियों को कई महीनों से सैलरी और अन्य भत्ते देने में नाकाम रही है। बता दें कि इस कंपनी की स्थापना ओसामा के पिता ने की थी।
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द वॉशिंगटन पोस्ट की खबर के मुताबिक, प्रदर्शन कर रहे कुछ गैर सऊदी कामगारों ने शनिवार को मक्का शहर में सात बसों में आग लगा दी। ये कामगार उन 77 हजार विदेशी कर्मचारियों में से एक हैं, जिन्हें सऊदी बिनलादेन ग्रुप (SBG) ने बाहर का रास्ता दिखाने का एलान किया है। ये 77 हजार कर्मचारी कंपनी की कुल वर्कफोर्स के आधे के बराबर हैं। इस विरोध-प्रदर्शन की वजह से कंपनी पर कर्मचारियों के करीब 4200 करोड़ रुपए के बकाए का भुगतान करने का दबाव काफी बढ़ गया है। जिन कर्मचारियों के सैलरी और अन्य भत्ते बकाए हैं, उनमें विदेशियों के अलावा 12000 सऊदी नागरिक भी शामिल हैं। इन सभी से ‘इस्तीफा देने या इंतजार करने’ के लिए कहा गया है।
एसबीजी की आर्थिक तंगहाली तेल की कीमतों में हुई गिरावट की वजह से होने वाले नुकसान का एक और बड़ा उदाहरण है। इस कंपनी के पास सऊदी शासन के सरकारी निर्माण प्रोजेक्ट्स के 70 फीसदी (वैल्यू के हिसाब से) पर नियंत्रण है। इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड के मुताबिक, तेल से आने वाले रेवेन्यू में गिरावट की वजह से सऊदी सरकार करीब 100 बिलियन डॉलर के कर्ज में है। हाल के सालों में सऊदी सरकार की 90 पर्सेंट आमदनी ऑयल की वजह से हुई है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने ठेकेदारों को उनका भुगतान नहीं किया है। हालांकि, अभी यह साफ नहीं है कि इनमें एसबीजी ग्रुप शामिल है कि नहीं।
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, सऊदी सरकार ने फुटबॉल स्टडियम और हाई स्पीड रेललाइन जैसे बड़े पैमाने पर होने वाले कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट्स पर रोक लगा दी है। सऊदी अरब के दूसरे बड़े शहर जेद्दा में एसबीजी ग्रुप एक बिल्डिंग बना रहा है, जो दुनिया की सबसे ऊंची इमारत होगी। इस इमारत का नाम किंगडम टावर है, जिसकी प्रस्तावित ऊंचाई 3280 फीट है।
बीते साल सितंबर महीने में शुक्रवार शाम मक्का के सबसे पवित्र मस्जिद में एक क्रेन के गिर जाने से 107 लोगों की मौत हो गई। सरकार की जांच में पता चला कि क्रेन को मैनुअल के हिसाब से नहीं इस्तेमाल किया गया। सरकार की ओर से यह भी कहा गया कि वे आने वाले प्रोजेक्ट्स में बिनलादेन ग्रुप को नीलामी में शामिल नहीं होने देंगे। इससे कंपनी के शेयरों की कीमत पर प्रभाव पड़ा। माना जा रहा है कि कंपनी पर 30 बिलियन डॉलर का कर्ज है।
अमेरिका पर हुए 9/11 के आतंकी हमले के बाद कई पीडित परिवारों ने कंपनी के खिलाफ केस दायर किए। आरोप लगाया कि ओसामा बिन लादेन को इस कंपनी से पर्याप्त मात्रा में आर्थिक सहयोग हासिल हुआ। ओसामा बिन लादेन को 1993 में बतौर शेयरहोल्डर इस कंपनी से अलग कर दिया गया था। 90 के दशक में आतंकी संगठन अलकायदा की नींव रखने के लिए ओसामा ने अपनी पैतृक संपत्ति का बड़ा हिस्सा इस्तेमाल किया। हालांकि, अमेरिकी अदालत ने कहा कि अमेरिकी अदालतों ने कहा कि एसबीजी उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता क्योंकि कंपनी यूएसए में ऑपरेट नहीं करती।
वर्तमान संकट कंपनी के लिए ज्यादा कष्टकारी है। हालांकि, जानकारों का मानना है कि कंपनी के बंद होने की गुंजाइश कम है। दरअसल, कंस्ट्रक्शन के बिजनेस से जुड़ी इस विशाल कंपनी का सऊदी अरब के सरकारी प्रोजेक्ट्स में इतना ज्यादा दखल है कि अब यह देश के नॉन ऑयल इकोनॉमी का बहुत बड़ा हिस्सा बन गया है। ऐसे में यह कहना गलत न होगा कि बिन लादेन ग्रुप के नाकाम होने की आशंका न के बराबर है।