बांग्लादेश की शीर्ष अदालत ने मौत के चार साल बाद आखिरकार महिला के धर्म को लेकर फैसला दिया है। हाईप्रोफाइल कानूनी लड़ाई में कोर्ट ने महिला को मुस्लिम माना है। अब उनके शव को तकरीबन 48 महीने के इंतजार के बाद दफनाया जाएगा। कोर्ट ने शव को उनके पति की कब्र के बगल में इस्लामिक तौर-तरीकों से दफनाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि होस्ने आरा लाजु ने हुमायूं फरीद लाजु से शादी करने से पहले इस्लाम धर्म अपना लिया था। होस्ने के परिजनों ने मृत्यु से पहले उन पर हिंदू धर्म में वापस आने का जोर डाला था। दोनों ने वर्ष 2013 में शादी की थी। दोनों के परिजनों ने हिंदू और मुस्लिम के बीच शादी का लगातार विरोध कर रहे थे। साथ ही दोनों पर शादी खत्म करने का दबाव डाल रहे थे। होस्ने के पिता ने फरीद को आरोपी बनाते हुए पुलिस में अपहरण का मामला दर्ज करा दिया था। पारिवारिक कलह से तंग आकर फरीद (21) ने वर्ष 2014 में आत्महत्या कर ली थी। होस्ने ने भी दो महीने बाद जहरीला पदार्थ खाकर जान दे दी थी।
अंतिम संस्कार को लेकर विवाद: होस्ने की मौत के बाद उनके धर्म को लेकर राष्ट्रव्यापी बहस छिड़ गई थी। उनका अंतिम संस्कार करने के तरीकों (हिंदू या इस्लामिक तरीके) को लेकर गंभीर विवाद पैदा हो गया था। इस बात को लेकर फरीद और होस्ने के परिजनों ने कोर्ट दरवाजा खटखटाया था। होस्ने के परिजनों ने हिंदू तरीके से अंतिम संस्कार करने पर अड़े थे। वहीं, फरीद के परिवार वाले इस्लामिक तरीके से उनके शव को दफनाना चाहते थे। निचली अदालत से होते हुए यह मामला शीर्ष अदालत में पहुंच गया था। अब इस मामले में कोर्ट ने होस्ने को मुस्लिम मानते हुए उनके शव को फरीद के बगल में दफनाने का आदेश दिया है। होस्ने के वकील ने शीर्ष अदालत के फैसले के बारे में जानकारी दी। हालांकि, होस्ने के परिजनों ने दावा किया था कि उन्होंने मौत से पहले हिंदू धर्म को अपना लिया था। कोर्ट ने उनकी दलीलों को स्वीकार नहीं किया था। बांग्लादेश में अंतरधार्मिक शादी के मामले बेहद कम होते हैं। पड़ोसी देश मुस्लिम बहुल है।