बांग्लादेश में हिंसा अब काबू में आती दिख रही है, अंतरिम सरकार के गठन के साथ ही जमीन पर स्थिति सुधर रही है। अल्पसंख्यक हिंदुओं के हितों की रक्षा से लेकर उपद्रवियों पर एक्शन की बात तक, कई मुद्दों पर अब स्टैंड साफ हो रहा है। बड़ी बात यह है कि इस अंतरिम सरकार में उन लोगों को भी जगह दी गई है कि जिन्होंने पिछली हसीना सरकार को उखाड़ फेंक दिया था। ऐसे ही एक युवा का नाम है नाहिद इस्लाम जो अंतरिम सरकार में सलाहकार की भूमिका निभा रहे हैं।

बांग्लादेश हिंसा: अंतरिम सरकार का रोडमैप?

नाहिद इस्लाम ने इंडियन एक्सप्रेस से खास बातचीत की है, उनकी तरफ से कई मुद्दों पर विस्तार से बताया गया है। बांग्लादेश की न्यायिक व्यवस्था से लेकर अल्पसंख्यक हिंदुओं की रक्षा तक, हर मुद्दे पर उन्होंने बताया है कि अंतरिम सरकार का क्या रुख रहने वाला है। नाहिद कहते हैं कि हसीना के कार्यकाल के दौरान सभी संस्थाओं को बर्बाद कर दिया गया था, लूट और अन्याय ने सबकुछ खत्म कर दिया था। ऐसे में अब सबसे पहले तो हमे बड़े रीफॉर्म करने होंगे, लोगों का विश्वास फिर उन संस्थानों के प्रति बढ़ना चाहिए। हमारे लिए यह एक मुश्किल कार्य है, लेकिन फिर भी मेहतन उस दिशा में करनी ही पड़ेगी।

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शेख हसीना को हटाने का मकसद क्या?

वैसे नाहिद ने क्योंकि हसीना सरकार को ही उखाड़ फेंकने का काम किया, ऐसे में उनसे यह सवाल भी पूछा गया कि क्या उनका पहले से ही ये मिशन था कि आवामी सरकार को हटाना था। इस पर दो टूक जवाब देते हुए नाहिद ने बोला कि हमने कभी भी ऐसा नहीं सोचा था। सरकार को हटाना हमारा मकसद नहीं था। लेकिन सच यह है कि लोग ही नाराज थे, तीन चुनावों में धांधली हो चुकी थी। ऐसे में जब हमारा आंदोलन शुरू हुआ, लोगों के मुद्दों को एक आवाज मिल गई।

शेख मुजीब की प्रतिमा क्यों तोड़ी?

अब उस आंदोलन ने वैसे तो शेख हसीना की मुश्किलें बढ़ाई हीं, लेकिन एक सवाल यह जरूर रहा कि विरोध प्रदर्शन के नाम पर उस शख्स की प्रतिमा को क्यों खंडित किया गया जिसने बांग्लादेश को आजादी दिलवाई। इस सवाल पर नाहिद ने साफाई दी कि यह सही बात है कि शेख मुजीब ने एक समय देश का नेतृत्व किया था, लेकिन आवामी लीग ही उनका सम्मान नहीं कर पाई। उस पार्टी ने तो उनकी छवि का इस्तेमाल कर सारे गलत काम किया। शेख मुजीब की प्रतिमा भी एक समय बाद फासीवाद का प्रतीक बन चुकी थी। नाहिद तो यहां तक मानते हैं कि अगर शेख मुजीब की प्रतिमा टूटी भी है, उसके लिए आवामी लीग ही जिम्मेदार है। उनके मुताबिक आंदोलनकारियों ने तो असल में फासीवाद के एक प्रतीक को तोड़ने का काम किया।

मोहम्मद यूनुस ही क्यों प्रमुख?

वैसे अब जब स्थिति पर ट्रैक पर लौट रही है, मोहम्मद यूनुस के कंधों पर देश को आगे ले जाने की बड़ी जिम्मेदारी है। उनकी कार्यशैली को लेकर नाहिद कहते हैं कि हमे इस बात का अहसास था कि अब देश को फिर खड़ा करने की जरूरत है, ऐसे में मार्गदर्श जरूरी था। उसी वजह से प्रोफेसर यूनुस बेहतर विकल्प लगे। वे लोकप्रिय हैं, साफ छवि वाले हैं और पिछली सरकार के दौरान आम लोगों के मुद्दे उठाते रहते थे।

भारत से रिश्ते पर बोले नाहिद

भारत से रिश्तों को लेकर भी नाहिद ने एक बड़ी बात बोली है। उनके मुताबिक वैसे तो भारत, बांग्लादेश का गहरा दोस्त है। लेकिन ऐसा देखा गया है कि भारत सरकार ने बांग्लादेश से ज्यादा एक पार्टी के साथ रिश्ते बनाने का काम किया। अब नाहिद ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि शेख हसीना के भारत सरकार के साथ कई सालों से मजबूत संबंध रहे हैं।

Shubhajit Roy की रिपोर्ट