बांग्लादेश में घटनाक्रम तेजी से बदला है। शेख हसीना ने देश छोड़ दिया तो वहीं सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने इस्तीफा दे दिया। हालांकि वहां अंतरिम सरकार बन गई है। नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार बनी है। हालांकि अब कई प्रदर्शनकारी काम पर लौट रहे हैं। 19 वर्षीय ओभिक एक हफ्ते पहले तक शेख हसीना के खिलाफ प्रदर्शन में शामिल था लेकिन अब वह ट्रैफिक कर्मी का काम देख रहा है।
प्रदर्शनकारी छात्र काम पर लौटे
ओभिक ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ”सरकार से तो छुटकारा मिल गया, अब जिम्मेदारी उठानी होगी। मेरे पैर में चोट लगी है, लेकिन लोगों की सेवा करना हमारी जिम्मेदारी है।” आर्किटेक्चर के दूसरे वर्ष के छात्र ओभिक का कहना है कि जब हम धरने में थे तो लाठीचार्ज और आंसूगैस का सामना करने के कारण दाहिने हाथ में फ्रैक्चर हो गया था। ओभिक का कहना है कि वह सुबह 11 बजे से ट्रैफिक ड्यूटी पर हैं और बूंदाबांदी के बावजूद शाम तक अपने पद पर था। सरकार का साथ देने और प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने के कारण लोगों के गुस्से का सामना कर रही पुलिस अभी भी काम पर नहीं आ रही है।
शासन बदलते ही ढाका की सड़कों पर प्रदर्शनकारियों ने यातायात का प्रबंधन किया। अंतरिम सरकार के शपथ लेने के बाद ढाका की दीवारों पर लिखे नारे मिटा दिए गए हैं। मेट्रो के खंभों पर खूनी हसीना, हम जीत गए, हसीना तुम कहां गायब हो गई जैसे नारे लिखे थे लेकिन इसपर स्प्रे-पेंट किया गया है। प्रदर्शन के दौरान शेख हसीना के पिता और बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान को भी नहीं बख्शा गया। ढाका के हज़रत शाहजलाल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के ठीक बाहर उनकी मूर्ति टुकड़े टुकड़े में बिखरी पड़ी है। हसीना के समर्थकों का कहना है कि देश भर में मूर्तियों को नष्ट कर दिया गया है, जिनमें कुछ ढाका में भी हैं।
एक अधिकारी ने कहा, “वह (शेख हसीना) अपने कार्यों को सही ठहराने के लिए हर मौके पर उनका नाम लेती थी। इसलिए उनके खिलाफ दबा हुआ गुस्सा था, जिसने भीड़ को ऐसी चीजें करने पर मजबूर कर दिया।”
बंगबंधु का सम्मान करते लेकिन हसीना के खिलाफ गुस्सा था- छात्र
इस बीच ढाका यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर का कहना है कि छात्रों के आंदोलन का इस्तेमाल कुछ कट्टरपंथी ताकतों ने ऐसे कृत्यों को अंजाम देने के लिए किया था। अरसुदा नाम के छात्र ने कहा, “हम बंगबंधु का भी सम्मान करते हैं, लेकिन शेख हसीना की हरकतों से लोग नाराज़ हो गए। यह उस गुस्से की एक प्रतिक्रिया थी।”