बांग्लादेश में हिंदू युवक की पीटकर हत्या किए जाने के मामले में अब तक 12 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। सोमवार को मैमेनसिंह शहर में दीपू चंद्र दास की भीड़ द्वारा हत्या किए जाने के विरोध में, बांग्लादेश में हिंदू धार्मिक संगठनों और अल्पसंख्यक समूहों ने नेशनल प्रेस क्लब के सामने प्रदर्शन किया।
प्रदर्शन के दौरान अल्पसंख्यक अधिकार आंदोलन की छात्र प्रतिनिधि सुष्मिता कार ने कहा, “18 दिसंबर 2025 को, भीड़ द्वारा न्याय के नाम पर दीपू चंद्रदास नामक एक व्यक्ति की बेरहमी से हत्या कर दी गई। वह निर्दोष था। हमें यह जानकारी मिली कि उसका अपने सहकर्मियों से कुछ विवाद था और उन्होंने कुछ अपशब्द कहे थे। यह हमारे लिए बहुत सामान्य मामला है क्योंकि पिछले साल हमने इस तरह के कई मामले देखे थे और हाल ही में यह मामला इतना बड़ा हो गया क्योंकि हर किसी ने सोशल मीडिया पर वीडियो देखा।”
वहीं, दूसरी ओर बांग्लादेश में हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या किए जाने और देश भर में व्यापक हिंसक प्रदर्शनों के बीच रविवार को दो और व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया। ‘डेली स्टार’ समाचारपत्र ने पुलिस और रैपिड एक्शन बटालियन (आरएबी) के सूत्रों के हवाले से बताया कि हालिया गिरफ्तारियों के साथ ही, हत्या में संलिप्तता के आरोप में अब तक 12 लोगों को पकड़ा गया है।
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बांग्लादेश में दीपू दास को भीड़ ने ईशनिंदा के आरोपों में पीटकर मार डाला था
कारखाने में श्रमिक के तौर पर कार्यरत दीपू दास को भीड़ ने ईशनिंदा के आरोपों में पीटकर मार डाला था और उसके शव को मैमेनसिंह में आग लगा दी थी। पीड़ित के भाई अपू चंद्र दास ने शुक्रवार को भालुका पुलिस थाने में 140-150 अज्ञात लोगों के खिलाफ एक मामला दर्ज कराया। आरोप है कि दास ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखा था जिससे धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची थी। हालांकि, मैमेनसिंह में आरएबी-14 के कंपनी कमांडर मोहम्मद शम्सुज्जमान ने शनिवार को ‘द डेली स्टार’ को बताया कि ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है, जिससे यह संकेत मिले कि दास ने सोशल मीडिया पर ऐसा कुछ पोस्ट किया था जिससे धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची हो। उन्होंने यह भी कहा कि स्थानीय लोग या कपड़ा कारखाने के अन्य कर्मचारी भी ऐसी किसी गतिविधि की ओर इशारा नहीं कर सके।
शम्सुज्जमान ने कहा, ‘‘अब हर कोई कह रहा है कि उन्होंने व्यक्तिगत रूप से उसे ऐसा कुछ कहते हुए नहीं सुना। ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं मिला है जिसने धर्म को ठेस पहुंचाने वाली कोई बात सुनी या देखी हो।’’ उन्होंने कहा, “जब स्थिति तनावपूर्ण हो गई, तो कारखाने की सुरक्षा के लिए दास को जबरन कारखाने से बाहर निकाल दिया गया।”
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(भाषा के इनपुट के साथ)
