कट्टरपंथी जमात ए इस्लामी प्रमुख मोतीउर रहमान निजामी को फांसी के फंदे से लटकाया जाना आसन्न नजर आ रहा है क्योंकि उसे फांसी देने का एक कार्यकारी आदेश मंगलवार (10 मई) रात जारी कर दिया गया। इससे पहले उसने 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान किए युद्ध अपराधों को लेकर राष्ट्रपति से दया याचिका करने से इनकार कर दिया। गृह मंत्री असदुज्जमान खान ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘निजामी ने रहम की मांग नहीं की। फांसी दिए जाने का कार्यकारी आदेश जेल अधिकारियों को भेज दिया गया है।’’

ढाका केंद्रीय कारागार के चारों ओर सुरक्षा बढ़ाने के लिए एलीट अपराध रोधी रैपिड एक्शन बटालियन के पुलिस के साथ काम पर जुटने के बीच उनकी टिप्पणी आई है। जेल प्रहरियों ने इसके अंदर सुरक्षा बढ़ा दी है। जेल के सामने मौजूद सड़क पर भी बैरीकेड लगा दिए गए हैं और वाहनों की आवाजाही बंद कर दी गई है।

बीडी न्यूज 24 की खबर के मुताबिक निजामी (73) की पत्नी सहित उसके परिवार के सदस्य, दो बेटे और उनकी पत्नियां मंगलवार (10 मई) शाम उससे मिलने जेल गए। दरअसल, जेल अधिकारियों ने उनसे वहां आकर आखिरी बार निजामी से मुलाकात करने को कहा था।

एक विशेष न्यायाधिकरण ने 1971 में कुख्यात अल बद्र मिलीशिया बलों के प्रमुख के तौर पर उच्चतम जिम्मेदारियां निभाने को लेकर दोषी ठहराते हुए बांग्लादेश की सबसे बड़ी इस्लामी पार्टी के प्रमुख निजामी को अक्तूबर 2014 में फांसी की सजा सुनाई थी। उसे अपने ही गांव में 450 से अधिक लोगों की हत्या करने को लेकर खास तौर पर दोषी पाया गया।

फांसी के खिलाफ उसकी आखिरी अपील पांच मई को शीर्ष न्यायालय ने खारिज कर दी थी। वह पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बीएनपी नीत चार दलीय गठबंधन सरकार में मंत्री था। वह 2010 से जेल में है। टीवी की खबरों में अज्ञात जेल अधिकारियों के हवाले से बताया गया कि जल्लादों के एक समूह को जरूरी प्रक्रिया के बाद तैयार रखा गया है। शाहजहां अली मुख्य अधिकारी के रूप में उनका नेतृत्व कर सकते हैं।