Bangladesh Crisis: बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रही शेख हसीना को सत्ता छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। उन्होंने भारत में अस्थाई तौर पर शरण ली है। वो किसी और देश जाना चाहती हैं। शेख हसीना के भारत में रुकने को लेकर बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने प्रतिक्रिया दी है। बीएनपी ने कहा कि शेख हसीना के ढाका से चले जाने के बाद भारत में जिस तरह से उनकी मेजबानी की गई, वो चिंता को बढ़ाने वाला है। पार्टी ने कहा कि भारत फिर से हसीना की सत्ता में वापसी चाहता है और इसके लिए उनको समर्थन कर रहा है, ये ठीक नहीं है।

बीएनपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री खांडकर मुशर्रफ ने कहा कि यह द्विपक्षीय संबंधों में एक नया अध्याय शुरू करने का सही समय है। हुसैन ने बांग्लादेश में अंतरिम सरकार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बधाई संदेश का स्वागत किया और उम्मीद जताई कि भारत सरकार अब अवामी लीग और शेख हसीना को समर्थन देना जारी नहीं रखेगी।

शेख हसीना भारत नहीं भागती तो अच्छा होता

बीएनपी के उपाध्यक्ष अब्दुल अवल मिंटू ने भी कुछ इसी तरह की राय देते हुए कहा कि काफी अच्छा होता अगर हसीना भारत नहीं भागतीं। उन्होंने कहा कि हम भारत के साथ में काफी अच्छे संबंध चाहते हैं। बांग्लादेश और इसके लोग भारत को दोस्त की तरह मानते और देखते हैं। हुसैन ने कहा कि इंटरनेशनल कानून के मुताबिक भारत की मर्जी है कि वह जिसको चाहे उसे अपने देश में शरण दे सकता है।

हुसैन ने कहा कि शेख हसीना का भारत में शरण लेना बिल्कुल ही स्वाभाविक लगता है। इतना ही नहीं उन्होंने इस बात को उदाहरण के जरिये भी समझाया। उन्होंने कहा कि अगर मैं आपको पंसद करता हूं और कोई दूसरा शख्स आपका समर्थन कर रहा है तो यह बात तो स्वाभाविक ही है कि वह शख्स मुझे पसंद नहीं आएगा। लेकिन एक तथ्य यह भी है कि भारत-बांग्लादेश के बीच हमेशा अच्छे संबंध रहे हैं। चाहे अवामी लीग सत्ता में रही हो या शेख हसीना रही हों। उन्होंने कहा कि जब बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी सत्ता में थी तो मैं बांग्लादेश सरकार में मंत्री था। हमने देखा कि दोनों देशों के बीच शानदार संबंध रहे हैं।

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भ्रष्ट और तानाशाही भरे शासन का समर्थन नहीं करेगा भारत- बीएनपी

77 साल के नेता ने कहा कि बांग्लादेश के लोग उम्मीद करते हैं कि भारत सरकार अवामी लीग जैसे भ्रष्ट और तानाशाही भरे शासन का हमेशा समर्थन नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि भारत के लोगों को भी इसका अहसास होगा। जब उनसे सवाल किया गया कि क्या बीनएपी चाहती है कि हसीना को बांग्लादेश को सौंप दिया जाए तो इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि यह अंतरिम सरकार को तय करना है। बीएनपी के तौर पर हमने इस पर कोई भी फैसला नहीं किया है।

हुसैन ने यह भी उम्मीद जताई कि नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के तहत लोगों के अधिकार जल्द से जल्द बहाल हो जाएंगे। मिंटू ने कहा कि बांग्लादेश में यह बात सभी को पता है कि अपने बड़े पड़ोसी के समर्थन की वजह से ही अवामी लीग अपनी सरकार के खिलाफ गहरी नाराजगी के बाद भी इतने टाइम तक टिकी रही।

भारत एक बहुत बड़ी अर्थव्यवस्था- बीएनपी नेता

अवामी लीग के साथ भारत की निकटता पर मिंटू ने कहा कि इसका द्विपक्षीय संबंधों पर कम और अस्थायी असर पड़ सकता है, लेकिन यह बांग्लादेश के लिए ही फायदेमंद है कि यह ज्यादा लंबे टाइम तक ना रहे। अगर यह भूटान या नेपाल जैसा कोई अन्य पड़ोसी देश होता तो मैं ऐसा नहीं कहता, लेकिन भारत एक बहुत बड़ा देश है और विश्व की सबसे बड़ी इकॉनामी में से एक है।

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अच्छे द्विपक्षीय संबंधों की खातिर दोनों देशों को बैठकर बातचीत करनी चाहिए और सभी तरह के मतभेदों का समाधान करना चाहिए। बांग्लादेश में इंडिया आउट अभियान के बारे में जब सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि ये छिटपुट और अस्थायी घटनाएं हैं और न तो बांग्लादेश के लोग और न ही बीएनपी इस तरह के अभियानों का समर्थन करती है। मिंटू ने कहा कि बांग्लादेश की नई अंतरिम सरकार को सभी मुद्दों के हल के लिए तुरंत भारत के साथ में बातचीत की टेबल पर आना चाहिए। मिंटू ने कहा कि हमें नहीं पता कि शेख हसीना लौटना चाहती हैं या नहीं, यह केवल उन पर ही निर्भर हैं।

हम इस मामले में किसी भी तरह की टिप्पणी नहीं कर सकते हैं। बांग्लादेश का कानून अपना काम करेगा। अवामी लीग के शासन के दौरान भ्रष्टाचार के काफी सारे मामले सामने आए हैं। मिंटू ने किसी भी तरह की कोई भी टाइमिंग का जिक्र नहीं किया है लेकिन उन्होंने कहा कि बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के नेतृत्व वाली उनकी पार्टी चाहती है कि चुनाव जल्द से जल्द हों ताकि लोकतांत्रिक सरकार दोबारा से बन सके।