बांग्लादेश उच्च न्यायालय ने धर्मनिरपेक्ष कार्यकर्ताओं की ओर से दायर उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें इस्लाम को राजकीय धर्म के तौर पर मान्यता देने वाले संवैधानिक प्रावधान को चुनौती दी गई है। न्यायमूर्ति नईमा हैदर, न्यायमूर्ति काजी रेजाउल हक और न्यायमूर्ति अशरफ उल कमाल की पीठ ने आज दोपहर 28 साल पुरानी इस याचिका पर यह आदेश पारित किया। अपने आदेश में न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ताओं के पास रिट याचिका दायर करने का अधिकार नहीं है।

बांग्लादेश में सात जून, 1988 को आठवें संशोधन विधेयक के पारित होने के बाद 15 जानेमाने लोगों ने राजकीय धर्म के प्रावधान को चुनौती देते हुए जनहित याचिका दायर की थी। इनमें से अधिकांश लोगों की मौत हो चुकी है। सैन्य शासक जनरल एच एम इरशाद के कार्यकाल में 1988 में यह विधेयक पारित हुआ था। यह आदेश आने के ठीक एक महीने पहले मुख्य न्यायाधीश सुरेंद्र कुमार सिन्हा ने इस विषय पर विचार के लिए एक तीन सदस्यीय पीठ का गठन किया था ।