Bangladesh Crisis: बांग्लादेश में गुरुवार को नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार ने बंगभवन में शपथ ली। यह घटनाक्रम 15 सालों तक सत्ता में रहने वाली शेख हसीना का पीएम पद से इस्तीफा देने और 5 अगस्त को देश छोड़कर भाग जाने के तीन दिन बाद हुआ। अगर हम बांग्लादेश में कार्यवाहक और अंतरिम सरकारों की बात करें तो यहां इसका लंबा इतिहास रहा है। यहां पहली सरकार 1991 में बनी थी।

अंतरिम या कार्यवाहक सरकार के मुख्य सलाहकार को प्रधानमंत्री का दर्जा प्राप्त होता है तथा सलाहकार परिषद के सदस्य को मंत्री का दर्जा प्राप्त होता है।

1991 में जन-विद्रोह के कारण सैन्य तानाशाह हुसैन मुहम्मद इरशाद की सरकार के पतन के बाद जस्टिस शहाबुद्दीन अहमद ने पहली कार्यवाहक सरकार का नेतृत्व किया।

1996 में जस्टिस मुहम्मद हबीबुर रहमान को मुख्य सलाहकार बनाकर एक कार्यवाहक सरकार का गठन किया गया।

यद्यपि 1991 में पहली अंतरिम सरकार का उद्देश्य अधिनायकवाद से लोकतंत्र में परिवर्तन में सहायता करना था, लेकिन इस प्रणाली को 1996 में छठी संसद द्वारा संविधान में 13वें संशोधन के रूप में अपनाया गया, जिससे इस व्यवस्था को औपचारिक रूप मिला। इसे शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग द्वारा चलाए गए उग्र आंदोलन के मद्देनजर संविधान में शामिल किया गया था।

जस्टिस लतीफुर रहमान 2001 की कार्यवाहक सरकार के प्रमुख थे। तत्कालीन राष्ट्रपति इयाजुद्दीन अहमद ने अक्टूबर 2006 के अंत से 11 जनवरी 2007 तक कार्यवाहक सरकार के मुख्य सलाहकार के रूप में भी कार्य किया।

पूर्व केंद्रीय बैंक गवर्नर और अर्थशास्त्री फखरुद्दीन ने राजनीतिक अव्यवस्था के बीच आपातकालीन स्थिति के तहत 12 जनवरी 2007 को कार्यवाहक सरकार के प्रमुख के रूप में कार्यभार संभाला। 2011 में हसीना के नेतृत्व वाली सरकार ने कार्यवाहक सरकार प्रणाली को समाप्त कर दिया।

वर्तमान अंतरिम सरकार के सलाहकार के रूप में शपथ लेने वाले प्रोफेसर आसिफ नजरूल ने 6 अगस्त को कहा कि हम एक असाधारण स्थिति में सरकार बनाने जा रहे हैं। कुछ कार्यों को वैध बनाने के लिए अलग-अलग संवैधानिक तरीके और रीति-रिवाज हैं। हम ऐसा करने के लिए उनका पालन करेंगे।

सर्वोच्च न्यायालय के वकील और कानूनी मुद्दों पर जाने-माने टिप्पणीकार शाहदीन मलिक ने कहा कि हाल के दिनों में बांग्लादेश में हुई असाधारण राजनीतिक उथल-पुथल के संदर्भ में संविधान का पूरी तरह पालन करना संभव नहीं हो सकता। उन्होंने डेली स्टार से कहा कि ऐसा पहले भी हो चुका है। चूंकि राष्ट्रीय हित में सुधार करने के लिए संविधान का पालन करना संभव नहीं है, इसलिए बाद में संविधान में संशोधन करके इन सुधारों को वैध बनाया जा सकता है।

बता दें, वर्तमान में राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन द्वारा शपथ दिलाए जाने के बाद यूनुस ने कहा कि मैं संविधान की रक्षा करूंगा, उसका समर्थन करूंगा और उसका संरक्षण करूंगा। उनके मंत्रिमंडल के एक दर्जन से अधिक सदस्य, जिन्हें मंत्री नहीं बल्कि सलाहकार का पद दिया गया है, उन्होंने भी शपथ ली। शपथ लेने वालों में हसीना के विरोधी रहे छात्र नेता नाहिद इस्लाम और आसिफ महमूद भी शामिल हैं जो बांग्लादेश में आरक्षण विरोधी प्रदर्शनों का नेतृत्व कर रहे थे।

मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार में सलाहकारों की 16 सदस्यीय परिषद की घोषणा की गई। यह अंतरिम सरकार एक निश्चित अवधि के लिए संकटग्रस्त बांग्लादेश का नेतृत्व करेगी और निर्वाचित सरकार को सत्ता हस्तांतरण के लिए चुनाव की देखरेख करेगी। अन्य लोगों में पूर्व विदेश सचिव तौहीद हुसैन और पूर्व अटॉर्नी जनरल हसन आरिफ शामिल हैं। पुरस्कार विजेता पर्यावरण वकील सईदा रिजवाना हसन और टॉप प्रोफेसर और लेखक आसिफ नजरुल ने भी शपथ ली थी।