प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 15 अगस्त पर भाषण में बलूचिस्तान के जिक्र के बाद से यह मुद्दा गर्म है। भारत को इस पर काफी समर्थन भी मिल रहा है। इसी बीच बलूचिस्तान से निर्वासित होकर कनाडा में रहने वाले माज्दाक दिलशाद बलोच ने कुछ महीने पहले की उनकी भारत यात्रा के दौरान हुए वाकये का जिक्र करते हुए कहा कि यह काफी परेशान करने वाला था। उनके पास कनाडा का पासपोर्ट है और इसमें उनके जन्म का स्थान पाकिस्तान का क्वेटा शहर लिखा है। इस बारे में अंग्रेजी अखबार इकॉनॉमिक टाइम्स को उन्होंने बताया, ‘इमिग्रेशन अधिकारियों को यह बताने में मुझे बड़ी पीड़ा हुई कि मैं पाकिस्तान नहीं हूं। मुझे कुत्ता कह दो लेकिन पाकिस्तानी मत कहो। मैं एक बलूच हूं। मेरे जन्म के स्थान के कारण मुझे काफी परेशानी झेलनी पड़ी है।”
माज्दाक की तरह ही हजारों बलूच दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में शरण लेकर रह रहे हैं। माज्दाक के पिता को अगवा कर लिया गया और उनकी मां को परेशान किया गया। उनकी संपत्ति को तबाह कर दिया गया। माज्दाक बताते हैं, ”मेरे पिता मिर गुलाम मुस्तफा रासानी जो कि पेशे से फिल्ममेकर थे, उन्हें पाकिस्तानी सेना ने अगवा कर लिया। उन्हें साल 2006 से 2008 के बीच क्वेटा में हिरासत में रखा गया। मेरी मां एक राजनीतिक कार्यकर्ता हैं। मेरे पिता की रिहाई के बाद मेरे मां-बाप कनाडा चले गए। पाकिस्तान बलूचिस्तान में संस्कृति को नष्ट कर देना चाहता है। वे चाहते हैं कि बलूचिस्तान पाकिस्तान को देश मान लें या फिर वे हमें मार डालेंगे। उन्होंने हमारे देश में नरसंहार किया है।”
माज्दाक बचने के लिए सबसे पहले 2010 में अफगानिस्तान भागे। यूनाइटेड नेशन हाई कमिश्नर फॉर रिफ्यूजीस की मदद से उन्होंने शरणार्थी का दर्जा लिया और बाद में कनाडा चले गए। वे पीएम मोदी के बयान से खुश हैं। उनका कहना है, ”हम चाहते हैं कि भारत सरकार निर्वासन में बलूचिस्तान सरकार बनाने में मदद करें, जैसा कि तिब्बती लोगों के साथ किया गया है। पीएम मोदी ने जो कहा है उसकी प्रत्येक बलूच तारीफ करता है। पूरी दुनिया में बलूच निर्वासन सरकार बनाने के लिए काम कर रहे हैं।”
माज्दाक 2014 से कनाडा में रह रहे हैं। उनका कहना है कि उन्हें कभी भी भारतीय एजेंसियों ने संपर्क नहीं किया। उन्होंने कहा, ”मैं बलूच से हूं और लंबे समय तक वहां पर रहा। मैंने वहां पर किसी भारतीय एजेंट को नहीं देखा। वहां पर न तो मुझे और न मेरे परिवार को किसी ने संपर्क किया। यह सब पाकिस्तान का किया धरा है। वह आतंकियों की फैक्ट्री है। पाकिस्तान अपना दोष दूसरों पर थोपना चाहता है और भारत की रॉ को दोष देता है। मेरा मानना है कि पिछले 70 साल से बलूचों को भारत या भारतीय एजेंसियों से कोई समर्थन नहीं मिला।”