अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अब से टि्वटर पर किसी को भी ब्लॉक नहीं कर पाएंगे। यह बात हम नहीं कर रहे, बल्कि बुधवार (23 मई) को स्थानीय कोर्ट में आदेश के रूप में कही गई। कोर्ट ने इसी के साथ कहा कि ट्रंप अगर ऐसा करेंगे, तो यह संविधान का उल्लंघन होगा। ट्रंप को लेकर कोर्ट ने यह आदेश उस याचिका पर दिया है, जिसे 2017 में कुछ ट्विटर फॉलोअर्स के समूह ने दायर किया था। ट्रंप ने अपने टि्वटर अकांट से उन याचिकाकर्ताओं को ब्लॉक कर दिया था, जिसके बाद वे कोर्ट की शरण में गए थे।

न्यूयॉर्क शहर में फेडरल कोर्ट के जज नाओमी रीस बुचवाल्ड ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अमेरिकी नागरिकों को अपने ट्वीट देखने से अगर ट्रंप रोकेंगे, तो यह अमेरिकी संविधान का उल्लंघन होगा। सोशल मीडिया पब्लिक फोरम होते हैं, जहां ट्रंप किसी को ब्लॉक नहीं कर सकते। उन्होंने आगे कहा, “टि्वटर पर किसी यूजर को ब्लॉक करना एक नागरिक की अभिव्यक्ति के अधिकारों का उल्लंघन करने जैसा है। संविधान में बगैर संशोधन किए इस तरह का कुछ करना सही नहीं है।”

याचिकाकर्ताओं में कोलंबिया विश्वविद्यालय के नाइट फर्स्ट एमेंडमेंट इंस्टीट्यूट के अलावा सात अन्य लोग याचिकाकर्ता थे, जिनमें एक पत्रकार भी शामिल था। वहीं, एक अन्य याचिका दाखिल करने वाले जमील जाफर ने कोर्ट के आदेश की सराहना की।

ट्रंप मूलरूप से कारोबारी हैं। पहले भी वह सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय रहते थे। अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद और एक्टिव हो गए। टि्वटर पर वह अपनी फैसलों और नीतियों के बारे में समय-समय पर पोस्ट करते रहते हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति के इन्हीं पोस्ट को लेकर कभी उनकी आलोचना होती है, तो कभी वह ट्रोल कर दिए जाते हैं।

ट्रंप के खिलाफ याचिका दाखिल करने वालों ने इसी को लेकर कोर्ट में कहा कि राष्ट्रपति जवाब देने के बजाय लोगों को ब्लॉक करना आसान समझते हैं। ऐसे में कोर्ट ने ट्रंप को हिदायत दी कि वह अगर किसी के पोस्ट-ट्वीट से विचलित होते हैं, तो वह उसे नजरअंदाज करें। ब्लॉक करना उसका स्थाई हल नहीं है। यह संविधान का उल्लंघन माना जाएगा।