कतर की राजधानी दोहा में इजरायल ने 9 सितंबर को हमला किया था। इजरायल ने हमास के टॉप लीडर्स को निशाना बनाते हुए हमला किया था। अहम बात ये है कि हमले की जानकारी कतर के ‘खास दोस्त’ अमेरिका को भी थी। इजरायल के हमले में हमास के पांच टॉप लीडर्स मारे गए हैं। इसमें निर्वासित गाजा प्रमुख अल हय्या सोन का बेटा भी शामिल है। लेकिन पूरे हमले में कतर के साथ अमेरिका ने डबल गेम खेल दिया।
ट्रंप का था समर्थन
हमले के बाद इजरायल ने दावा किया कि उसने अमेरिका को इसकी जानकारी दे दी थी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसके लिए समर्थन भी दिया था। वहीं जब ट्रंप से इसको लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हमले की जानकारी इजरायल ने दी तो थी लेकिन दुर्भाग्य से हमले रोकने में बहुत देर हो चुकी थी।
द टाइम्स ऑफ इजरायल को व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने बताया कि अमेरिका को काफी पहले ही हमले के बारे में जानकारी दी गई थी। हालांकि अमेरिका ने कतर को जानकारी ऐसे समय में दी, जब काफी देर हो चुकी थी। कतर ने कहा कि जब यह हमला शुरू हुआ, उसके 10 मिनट बाद उन्हें अमेरिका से कॉल आया। कतर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि एक अमेरिकी अधिकारी का कॉल धमाकों के दौरान आया।
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कतर में अमेरिका का सबसे बड़ा बेस
कतर अमेरिका का करीबी सहयोगी है और मिडिल ईस्ट में अमेरिका का सबसे बड़ा बेस कतर में ही मौजूद है। ऐसे में इजरायल का दवा कि उसने अमेरिका को जानकारी दी थी और कतर को देर से जानकारी मिलना, काफी कुछ बयां कर रहा है। अब बड़ा सवाल यह उठा रहा है कि अमेरिका ने जानबूझकर कतर को देरी से जानकारी दी या फिर उसका ऐसा कोई इरादा नहीं था।
इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा था कि हमास बंधकों को छोड़ दे और सीजफायर के लिए तैयार हो जाए। उन्होंने इसे आखिरी चेतावनी करार दिया था। वहीं इजरायल के हमले के बाद हमास ने कहा कि इस हमले के लिए इजरायल के साथ अमेरिका भी बराबर का जिम्मेदार है। उसने कहा कि हमला न सिर्फ अमेरिका की विश्वसनीयता के लिए झटका है बल्कि शांति का नेता बनने की उसकी कोशिश पर भी चोट है।