दुनिया के महानतम वैज्ञानिकों में शुमार अलबर्ट आइंस्‍टीन ने भारतीयों की मानसिक क्षमता पर सवाल उठाया था। उनकी डयरी से इस बात का खुलासा हुआ है। आइंस्‍टीन ने दुनिया के कई हिस्‍सों की यात्रा की थी, जिन्‍हें उन्‍होंने अपनी डायरी में दर्ज किया था। हाल में उनकी डायरी को सार्वजनिक किया गया। इसमें नस्‍ल के साथ भारत, श्रीलंका और चीन को लेकर व्‍यक्‍त किए गए उनके विचारों पर विवाद पैदा हो गया है। नोबेल पुरस्‍कार विजेता वैज्ञानिक ने एशियाई यात्रा के दौरान लिखी डायरी में भारतीयों को लेकर टिप्‍पणी की थी। उन्‍होंने लिखा कि भारतीय अनुवांशिक (बायोलॉजिकल) रूप से दिमागी तौर पर कमजोर होते हैं। आइंस्‍टीन की मानें तो जलवायु के कारण भारतीय उपमहाद्वीप के लोगों के सोचने की क्षमता भी तुलनात्‍मक रूप से कम होती है। आइंस्‍टीन ने अक्‍टूबर 1922 से मार्च 1923 के बीच सुदूर पूर्व, फिलिस्‍तीन और स्‍पेन की यात्रा की थी। उन्‍होंने डायरी में इसका ब्‍योरा दर्ज किया था। कैलिफोर्निया इंस्‍टीट्यूट ऑफ टेक्‍नोलॉजी में आइंस्‍टीन पेपर्स प्रोजेक्‍ट के सहायक निदेशक जीव रोजेनक्रैंज ने अलबर्ट आइंस्‍टीन के यात्रा वृतांत को किताब की शक्‍ल में ढाला है।

आइंस्‍टीन ने भारतीय, चीनी और जपानी पर अपनी राय रखी थी। किताब की प्रस्‍तावना में रोजेनक्रैंज लिखते हैं कि तीनों के बारे में आइंस्‍टीन के विचार नस्‍लवाद की स्‍पष्‍ट बानगी है। उनके मुताबिक, आइंस्‍टीन का कोलंबो में भारतीयों से सामना हुआ था। उन्‍होंने भारतीयों की बौद्धिक क्षमता पर भी सवाल उठाया था। रोजेनक्रैंज की मानें तो आइंस्‍टीन ने भारतीयों में वैराग्‍य की भावना को भौगोलिक परिस्थितियों से जोड़ दिया था। नोबेल पुरस्‍कार विजेता वैज्ञानिक ने सवाल भी उठाया था क‍ि इस तरह के जलवायु में रहने पर हमलोग क्‍या भारतीयों की तरह नहीं हो जाएंगे? यह पहला मौका है जब आइंस्‍टीन की डायरी से भारतीयों के कम बौद्धिक होने की बात सामने आई है। भारतीय उपमहाद्वीप का इतिहास अध्‍यात्‍म और अध्‍ययन-अध्‍यापन के लिए मशहूर है। यहां के लोगों ने विज्ञान के क्षेत्र में उल्‍लेखनीय योगदान दिया है। सामाजिक और धार्मिक दर्शन के क्षेत्र में भी भारतीयों का व्‍यापक प्रभाव रहा है। ऐसे में आइंस्‍टीन के विचार चौंकाने वाले हैं। ऐसे में आइंस्‍टीन के विचारों को नस्‍लवाद से प्रभावित भी बताया जा रहा है।