तालिबान के प्रवक्ता का कहना है कि चरमपंथी संगठन भारत के साथ अच्छे रिश्ते चाहता है। प्रवक्ता ने कहा कि देश में जितने भी राजनयिक हैं, किसी को भी अफगानिस्तान छोड़ने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत पाक मसलों में तालिबान कोई दखल नहीं देगा।
अफगानिस्तान के हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। पिछले कुछ दिनों में तालिबान ने अफगानिस्तान के ज्यादातर हिस्सों पर कब्जा जमा लिया है। उसने कंधार, हेरात, मजार-ए-शरीफ और जलालाबाद जैसे शहरों समेत 34 में से 25 प्रांतीय राजधानियों पर कब्जा जमा लिया है। इधर काबुल एयरपोर्ट पर अमेरिकी सैनिकों की तरफ से किए गए फायरिंग में पांच लोगों की मौत हो गयी है। हवाई अड्डा को बंद कर दिया गया है।
अमेरिका के विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि अफगानिस्तान से अपने लोगों को निकालने के बीच काबुल में अमेरिकी दूतावास से अमेरिकी झंडा उतार लिया गया है। अधिकारी ने बताया कि दूतावास के लगभग सभी अधिकारियों को शहर के अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पहुंचा दिया गया है, जहां पर हजारों अमेरिकी तथा अन्य लोग विमानों का इंतजार कर रहे हैं।
इधर इंग्लैंड के पूर्व क्रिकेटर केविन पीटरसन ने दावा किया है कि अफगानी स्टार क्रिकेटर राशिद खान का परिवार अफगानिस्तान में फंस गया है। राशिद खान ब्रिटेन में टूर्नामेंट खेल रहे हैं। परिवार को निकालने को वहां से निकालने को लेकर काफी चिंतित हैं।
अफगानिस्तान में बदलते हालात ने भारत की चिंता भी बढ़ा दी है। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने देश की सभी सीमाओं पर अतिरिक्त सतर्कता बरतने पर जोर देते हुए रविवार को कहा कि अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा होना भारत के लिए शुभ संकेत नहीं है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने ट्वीट किया, ‘‘अफगानिस्तान का तालिबान के हाथों में जाना हमारे देश के लिए शुभ संकेत नहीं है। यह भारत के खिलाफ चीन-पाकिस्तान सांठगांठ को मजूबत करेगा। संकेत बिलकुल अच्छे नहीं हैं, हमें अब अपनी सीमाओं पर अतिरिक्त सजग रहने की जरुरत है।’’ उन्होंने अफगानिस्तान में फंसे 200 सिखों को वापस लाने की मांग भी की है।
सरकारी सूत्रों के अनुसार सरकार ने एयर इंडिया से कहा है कि वह काबुल से आपातकालीन निकासी के लिए दो विमानों को स्टैंडबाय पर रखे। एयर इंडिया ने काबुल से नई दिल्ली के लिए आपातकालीन ऑपरेशन के लिए एक दल तैयार किया है।
नेपाल सरकार ने सोमवार को घोषणा की कि वह अफगानिस्तान में फंसे अपने नागरिकों को बाहर निकालने के लिए त्वरित कदम उठा रही है। अफगानिस्तान में लंबे समय से चल रहा युद्ध रविवार को तब निर्णायक दौर में पहुंच गया जब तालिबान ने राष्ट्रपति महल पर कब्जा कर लिया।
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने अफगानों की जान बचाने और मानवीय सहायता पहुंचाने के मकसद से तालिबान और सभी अन्य पक्षों से संयम बरतने का आग्रह किया है।
दिल्ली पुलिस ने मध्य दिल्ली के चाणक्यपुरी में स्थित अफगानिस्तान के दूतावास के बाहर सोमवार को सुरक्षा कड़ी कर दी। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कई अफगान नागरिक दूतावास आए थे और उसके बाहर कुछ मीडियाकर्मी भी एकत्र हो गए थे। उन्होंने बताया, “उन्हें नियंत्रित करने और स्थिति सामान्य रखने के लिए दूतावास के बाहर सुरक्षा बढ़ा दी गई ।
अमेरिका के विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि अफगानिस्तान से अपने लोगों को निकालने के बीच काबुल में अमेरिकी दूतावास से अमेरिकी झंडा उतार लिया गया है। अधिकारी ने बताया कि दूतावास के लगभग सभी अधिकारियों को शहर के अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर पहुंचा दिया गया है, जहां पर हजारों अमेरिकी तथा अन्य लोग विमानों का इंतजार कर रहे हैं।
अफगानिस्तान से बाहर निकलने की बेचैनी से फैली अराजक स्थिति के चलते काबुल हवाई अड्डे पर सात लोगों की मौत।
अफगानिस्तान में तालिबान के नियंत्रण के बाद हालात लगातार बदतर होते जा रहे हैं। ऐसे में लोग देश छोड़कर दूसरे देशों का रुख कर रहे हैं। काबुल से आखिरी उड़ान के जरिये दिल्ली आए अफगान खुफिया अधिकारी आसिफ ने कहा, ''मुझे वहां से भागना पड़ा, वरना तालिबान मुझे जान से मार देता। सबकुछ वहीं खत्म हो जाता। मैं अपने परिवार को अपने साथ नहीं ला पाया।''
पूर्व भारतीय राजनयिकों ने अफगानिस्तान पर तालिबान के नियंत्रण को भारत के लिए ‘ झटका ’ करार देते हुए सोमवार को कहा कि भारत सरकार की प्राथमिकता फिलहाल यह होनी चाहिए कि वहां से भारतीय नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकाला जाए। अफगानिस्तान में अमेरिका समर्थिक सरकार सत्ता से बेदखल हो गई है और तालिबान ने सत्ता पर नियंत्रण स्थापित कर लिया है। राष्ट्रपति अशरफ गनी रविवार शाम देश से बाहर चले गए।
अफगानिस्तान के ताजा घटनाक्रम पर अपनी पहली प्रतिक्रिया में, भारत ने सोमवार को कहा कि वह स्थिति पर लगातार नजर रख रहा है और उस देश में भारतीय नागरिकों के साथ ही अपने हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी कदम उठाएगा।
भारतीय वायु सेना (IAF) का एक C-17 विमान कर्मियों और उपकरणों के साथ काबुल से आज दोपहर भारत लौटा। अधिक लोगों को निकाले जाने की योजना बनाई गई है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान तालिबान द्वारा काबुल पर नियंत्रण किए जाने का सोमवार को समर्थन करते हुए दिखे और उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान ने ‘गुलामी की जंजीरों’ को तोड़ दिया है।
एक्टिविस्ट सुधींद्र कुलकर्णी ने ट्वीट किया,' नया अफगानिस्तान उभर रहा है। आइए इस खुशखबरी का स्वागत करते हैं। तालिबान काबुल में एक गुरुद्वारे में जाकर सिखों और हिंदुओं को सुरक्षा का आश्वासन देता है। सतनाम वाहेगुरु! जय श्री राम!अल्लाह हो अकबर!'
अमेरिकी रक्षा विभाग के एक अधिकारी ने कहा है कि मध्य कमान के प्रमुख ने वरिष्ठ तालिबान नेताओं के साथ आमने-सामने की बैठक कर उनसे कहा है कि अफगानिस्तान के काबुल हवाईअड्डे पर लोगों को बाहर निकालने के लिए अमेरिका द्वारा चलाए जा रहे अभियान में कोई बाधा न डाली जाए। अधिकारी ने बताया कि रविवार को कतर के दोहा में हुई बैठक में जनरल फ्रैंक मैक्केंजी तालिबान से यह सहमति हासिल करने में सफल रहे कि हवाईअड्डे पर लोगों को बाहर निकालने का अभियान जारी रहेगा और नए शासक इसमें बाधा नहीं डालेंगे।
उज़्बेकिस्तान में हवाई सीमा पार करने के बाद उज़्बेक वायु रक्षा बलों द्वारा एक अफगान सैन्य जेट को मार गिराया गया। उज़्बेक रक्षा मंत्रालय ने सोमवार को यह जानकारी दी।
तालिबान के प्रवक्ता का कहना है कि चरमपंथी संगठन भारत के साथ अच्छे रिश्ते चाहता है। प्रवक्ता ने कहा कि देश में जितने भी राजनयिक हैं, किसी को भी अफगानिस्तान छोड़ने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत पाक मसलों में तालिबान कोई दखल नहीं देगा।
ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी ने सोमवार को पड़ोसी देश अफगानिस्तान में राष्ट्रीय सुलह का आह्वान किया। आधिकारिक IRNA समाचार एजेंसी ने रायसी के हवाले से कहा कि ईरान पहली प्राथमिकता के रूप में अफगानिस्तान में स्थिरता बहाल करने के प्रयासों का समर्थन करेगा। उन्होंने ईरान को अफगानिस्तान के लिए "एक भाई और पड़ोसी राष्ट्र" कहा।
ब्रिटेन के रक्षा सचिव बेन वालेस ने आज कहा कि सरकार अगले दो दिनों में अफगानिस्तान से 1,500 और लोगों को बाहर निकालने की योजना बना रही है। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश नागरिकों को लेकर पहली उड़ान ब्रिटेन में उतरी है।
काबुल में तालिबान द्वारा सत्ता पर कब्जा करने और राष्ट्रपति अशरफ गनी के युद्धग्रस्त देश छोड़ने के एक दिन बाद अफगानिस्तान में उभरती स्थिति पर चर्चा करने के लिए प्रधानमंत्री इमरान खान की अध्यक्षता में सोमवार को पाकिस्तान की सुरक्षा समिति की बैठक होगी। विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने एक बयान में कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक में विचार-विमर्श के बाद पाकिस्तान मौजूदा स्थिति पर अपना रुख पेश करेगा। बैठक में सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा और विदेश मंत्री कुरैशी सहित वरिष्ठ राजनीतिक और सैन्य नेता शामिल होंगे। एक अन्य महत्वपूर्ण बैठक विदेश कार्यालय में अफगान शिष्टमंडल के साथ होगी।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने सोमवार को कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अफगानिस्तान के संपर्क में रहना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने जोर दिया कि युद्धग्रस्त पड़ोसी देश में राजनीतिक समाधान लाने के प्रयास में पाकिस्तान अपना सहयोग जारी रखेगा। अमेरिका समर्थित अफगान सरकार के गिर जाने के बाद रविवार को तालिबान के आतंकवादियों ने काबुल पर कब्जा जमा लिया और राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भाग गए। इससे अमेरिका एवं उसके सहयोगियों द्वारा युद्ध प्रभावित देश में सुधार लाने का दो दशक लंबा प्रयास भी खत्म हो गया।
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के मद्देनजर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) सोमवार को भारत की अध्यक्षता में अफगानिस्तान में हालात पर आपात बैठक करेगी। एक हफ्ते में सुरक्षा परिषद की यह दूसरी बैठक होगी। अफगानिस्तान में लंबे समय से चले आ रहे युद्ध में रविवार को एक महत्वपूर्ण मोड़ आया जब तालिबान के चरमपंथियों ने राजधानी काबुल में प्रवेश कर राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया और राष्ट्रपति अशरफ गनी को देशी-विदेशी नागरिकों के साथ देश छोड़कर जाना पड़ा। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी एस तिरुमूर्ति ने ट्वीट किया, ‘‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अफगानिस्तान मामले पर बैठक होगी। भारत की अध्यक्षता में 16 अगस्त को अफगानिस्तान पर ब्रीफिंग एवं विचार विमर्श होगा। संरा महासचिव एंतोनियो गुतारेस यूएनएससी को जानकारी देंगे।’’
अफगानिस्तान के हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। लोग किसी भी हालत में देश छोड़कर सुरक्षित स्थानों की तरफ जाना चाह रहे हैं। काबुल एयरपोर्ट से रवाना हुए एक विमान से तीन यात्री नीचे गिर गए हैं।
एएफपी समाचार एजेंसी के अनुसार चीन ने कहा है कि वह अफगानिस्तान के तालिबान के साथ 'मैत्रीपूर्ण संबंध' विकसित करना चाहता है। इधर कांग्रेस ने अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद पैदा हुए हालात पर चिंता व्यक्त करते हुए सोमवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर को ‘रहस्यमयी चुप्पी’ तोड़कर देश को यह बताना चाहिए कि इस पड़ोसी देश को लेकर उनकी आगे की क्या रणनीति है तथा वहां से भारतीय राजनयिकों एवं नागरिकों की सुरक्षित वापसी की क्या योजना है।
एअर इंडिया ने सोमवार को पूर्वनिर्धारित अपनी एकमात्र दिल्ली-काबुल उड़ान को रद्द कर दिया ताकि अफगानिस्तान के हवाई क्षेत्र से बचा जा सके। विमानन कंपनी ने यह कदम काबुल हवाई अड्डे के अधिकारियों द्वारा ‘अनियंत्रित’ स्थिति घोषित किए जाने के बाद उठाया। वरिष्ठ अधिकारियों ने यह जानकारी दी। भारत और अफगानिस्तान के बीच सोमवार को निर्धारित यह एकमात्र वाणिज्यिक उड़ान थी और एअर इंडिया एकमात्र विमानन कंपनी है जो दोनों देशों के बीच विमानों का परिचालन कर रही है। उन्होंने बताया कि सोमवार को विमानन कंपनी ने अमेरिका से दिल्ली आ रहे अपने दो विमानों का रास्ता इसी वजह से बदल कर संयुक्त अरब अमीरात के शारजाह कर दिया।
काबुल एयरपोर्ट पर अमेरिकी सैनिकों की तरफ से किए गए फायरिंग में पांच लोगों की मौत हो गयी है। हवाई अड्डा को बंद कर दिया गया है। इधर अज्ञात बंदूकधारियों के हमले में अफगान वायु सेना के सदस्य की मौत हो गयी है।
संकट में घिरे अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने कहा है कि वह काबुल छोड़कर इसलिए चले गए ताकि वहां खून-खराबा और ‘बड़ी मानवीय त्रासदी’ न हो। उन्होंने तालिबान से कहा कि वह अपने इरादे बताए और देश पर उसके कब्जे के बाद अपने भविष्य को लेकर अनिश्चय की स्थिति में आए लोगों को भरोसा दिलाए। तालिबान के लड़ाकों ने रविवार को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर कब्जा कर लिया। सरकार ने घुटने टेक दिए और राष्ट्रपति गनी देशी और विदेशी नागरिकों के साथ देश छोड़कर चले गए।
विस्तार ने अफगानिस्तान के हवाई क्षेत्र से गुजरने वाली दिल्ली से लंदन की उड़ान को फिलहाल बंद कर दिया है। काबुल पर रविवार को तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान के भविष्य को लेकर आशंका जताई जा रही है। अफगानिस्तान के हवाईअड्डे को सोमवार को ‘अनियंत्रित’ घोषित कर दिया गया। विस्तार के प्रवक्ता ने सोमवार को कहा, ‘‘हमने अफगानिस्तान के हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल बंद कर दिया है। हम लंदन के हीथ्रो हवाईअड्डे तक या हीथ्रो हवाईअड्डे से वैकल्पिक मार्ग का इस्तेमाल कर रहे हैं।
एअर इंडिया ने सोमवार को कहा कि उसने अपनी शिकागो-दिल्ली उड़ान का मार्ग बदलकर उसे संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में शारजाह की ओर मोड़ दिया है ताकि अफगानिस्तान के हवाई क्षेत्र में प्रवेश से बचा जा सके। इससे पहले काबुल हवाई अड्डे के अधिकारियों ने कहा था कि अफगानिस्तान का हवाई क्षेत्र ‘अनियंत्रित’ है। अधिकारियों ने बताया कि शिकागो-दिल्ली की उड़ान विमान में ईंधन भरवाने के लिए शारजाह में उतरेगी। इसके बाद उड़ान दिल्ली के लिए रवाना होगी और वह अफगान हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल नहीं करेगी।
अफगानिस्तान से चेक देश की पहली उड़ान अपने कर्मियों एवं अफगान नागरिकों को लेकर काबुल अंततराष्ट्रीय हवाई अड्डे से रवाना हुई और प्राग में उतरी। प्रधानमंत्री आंद्रेज बबिज़ ने कहा कि सोमवार को पहुंची उड़ान में 46 लोग सवार थे। इनमें चेक के नागरिक, चेक दूतावास में अफगान कर्मी और अफगान अनुवादक जिन्होंने नाटो मिशन के दौरान चेक सशस्त्र बलों की मदद की थी और उनके परिवार शामिल थे। प्रधानमंत्री ने तत्काल अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं कराई। यह भी स्पष्ट नहीं है कि ऐसी कितनी उड़ानों को और सेवा में लगाया जाएगा।
तालिबान ने जिस तेजी के साथ अफगानिस्तान पर कब्जा किया है, उस पर अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और अन्य शीर्ष अमेरिकी अधिकारियों ने रविवार को अचंभा जताया है। वहीं पूर्व राष्ट्रपति ने ट्रंप ने बाइडेन से इस्तीफा मांगा है। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि तालिबान का विरोध किए बिना काबुल का पतन होना अमेरिकी इतिहास की सबसे बड़ी हार के रूप में दर्ज होगा।
न्यूजीलैंड की सरकार ने कहा कि अफगानिस्तान से न्यूजीलैंड के 53 नागरिकों और देश के सैनिकों के मददगार रहे अनेक अफगानी लोगों एवं उनके परिवारों को निकालने के लिए वह सी-130 हरक्युलिस सैन्य परिवहन विमान भेज रहा है। प्रधानमंत्री जेसिंडा अर्डन ने कहा कि देश के सैनिकों के मददगार 37 अफगानी लोगों की पहचान की गई है लेकिन जब उन पर निर्भर लोगों तथा अन्य को भी शामिल किया जाएगा तो वहां से निकाले जाने वाले लोगों की तादाद सैकड़ों में होगी। उन्होंने तालिबान से लोगों को वहां से शांतिपूर्ण तरीके से निकलने देने की अपील की।
सऊदी अरब ने कहा कि उसने काबुल में अपने दूतावास से सभी राजनयिकों को निकाल लिया है। सऊदी अरब ने कहा कि बदलते जमीनी हालात के मद्देनजर उसने रविवार को काबुल में अपने दूतावास से सभी कर्मियों को निकाल लिया है। अफगानिस्तान की राजधानी पर तालिबान के कब्जे के बाद कई अन्य देशों ने वहां स्थित अपने दूतावास बंद कर दिए हैं।
अफगानिस्तान पर तालिबान के तेजी से कब्जे से अमेरिका, ब्रिटेन सहित कई देश परेशान हैं। ब्रिटेन के रक्षा सचिव ने कहा है कि तालिबान हमारे काबू में है और ब्रिटिश फौज अफगानिस्तान से वापस नहीं लौटेगी।
कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा है कि नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार की चुप्पी चिंताजनक और रहस्यमय है। प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री को सामने आकर बताना चाहिए कि हमारे राजदूत और नागरिक किस प्रकार से सुरक्षित वापस आएंगे और अफ़ग़ानिस्तान के साथ हमारे भविष्य की रणनीति क्या होगी। अफ़ग़ानिस्तान की स्थिति बहुत ख़तरनाक मोड़ लिए है। भारत के सामरिक हित अफ़ग़ानिस्तान के मामले में दांव पर लगे हैं। हमारे राजदूतों, हमारे नागरिकों की सुरक्षा दांव पर है। हम भारत सरकार से एक परिपक्व रणनीतिक और राजनीतिक प्रतिक्रिया की अपेक्षा करते हैं।
इंग्लैंड के पूर्व क्रिकेटर केविन पीटरसन ने दावा किया है कि अफगानी स्टार क्रिकेटर राशिद खान का परिवार अफगानिस्तान में फंस गया है। राशिद खान ब्रिटेन में टूर्नामेंट खेल रहे हैं। परिवार को निकालने को वहां से निकालने को लेकर काफी चिंतित हैं।
दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्रालय ने कहा कि उसने काबुल में अपने दूतावास को ‘‘अस्थायी तौर पर बंद’’ कर दिया है और अधिकांश कर्मियों को वहां से निकालकर पश्चिम एशिया के किसी अन्य देश में पहुंचा दिया है। मंत्रालय ने कहा कि राजदूत चोई तीहो समेत कुछ राजनयिक अफगानिस्तान में सुरक्षित स्थान पर हैं और दक्षिण कोरिया के एक व्यक्ति की अफगानिस्तान से सुरक्षित वापसी में मदद दे रहे हैं। इसमें बताया गया कि सियोल सरकार अमेरिका तथा अन्य देशों के साथ मिलकर सुरक्षित निकासी के लिए काम कर रही है।
एएफपी न्यूज एजेंसी की खबर के अनुसार काबुल एयरपोर्ट पर अमेरिकी सेना द्वारा हवाई फायरिंग की गयी है। एयरपोर्ट पर जमा भीड़ को काबू करने के लिए अमेरिकी सेना की तरफ से ऐसा किया गया है। बताते चलें कि काबुल एयरपोर्ट पर लगभग 6 हजार अमेरिकी जवान मौजूद हैं।
सरकारी सूत्रों के अनुसार सरकार ने एयर इंडिया से कहा है कि वह काबुल से आपातकालीन निकासी के लिए दो विमानों को स्टैंडबाय पर रखे। एयर इंडिया ने काबुल से नई दिल्ली के लिए आपातकालीन ऑपरेशन के लिए एक दल तैयार किया है।
तालिबान ने जिस तेजी के साथ अफगानिस्तान पर कब्जा किया है, उस पर अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और अन्य शीर्ष अमेरिकी अधिकारियों ने रविवार को अचंभा जताया। अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना की नियोजित वापसी तत्काल एक सुरक्षित निकासी सुनिश्चित करने के मिशन में बदल गई है। अफगान सरकार का तेजी से पतन और वहां फैली अराजकता कमांडर इन चीफ के रूप में बाइडन के लिए एक गंभीर परीक्षा की तरह है। रविवार तक प्रशासन की प्रमुख हस्तियों ने माना कि अफगान सुरक्षा बलों के तेजी से हारने से वे अचंभे में हैं क्योंकि उन्होंने ऐसा अनुमान नहीं लगाया था।
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे और राष्ट्रपति अशरफ गनी के शासन के घुटने टेकने के बीच अमेरिका ने कहा है कि अपने नागरिकों, अपने मित्रों और सहयोगियों की अफगानिस्तान से सुरक्षित वापसी के लिए वह काबुल हवाईअड्डे पर 6,000 सैनिकों को तैनात करेगा। विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने महत्वपूर्ण सहयोगी देशों के अपने समकक्षों से बात की।
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने अफगानों की जान बचाने और मानवीय सहायता पहुंचाने के मकसद से तालिबान और सभी अन्य पक्षों से संयम बरतने का आग्रह किया है। संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने रविवार को कहा कि, “संयुक्त राष्ट्र एक शांतिपूर्ण समाधान में योगदान करने, सभी अफगानों, विशेषकर महिलाओं और लड़कियों के मानवाधिकारों की रक्षा करने और जरूरतमंद नागरिकों को जीवन रक्षक मानवीय और महत्वपूर्ण सहायता प्रदान करने के लिए दृढ़ संकल्पित है।”
पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि तालिबान का विरोध किए बिना काबुल का पतन होना अमेरिकी इतिहास की सबसे बड़ी हार के रूप में दर्ज होगा। तालिबान के काबुल में राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लेने और इसके निर्वाचित नेता अशरफ गनी के अपने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ देश छोड़कर ताजिकिस्तान चले जाने के बाद ट्रंप ने एक बयान में कहा, “जो बाइडन ने अफगानिस्तान में जो किया वह अपूर्व है। इसे अमेरिकी इतिहास की सबसे बड़ी हार के रूप में याद रखा जाएगा।”