प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस की अपनी दो दिवसीय यात्रा पर मॉस्कों पहुंच गए हैं। एयरोपोर्ट पर उनका भव्य स्वागत किया गया है। इसी बीच, अब हम बात करेंगे राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की पार्टी के इकलौते ऐसे विधायक की जिनका जन्म भारत में हुआ। वे कुर्स्क से विधायक हैं। 1990 के दशक में वे स्टूडेंट के तौर पर रूस आए थे और अब वे रूस के ही नागरिक हो गए हैं।
कुर्स्क की जमीन पर रेड आर्मी ने हिटलर को हराने के लिए दुनिया की सबसे बड़ी लड़ाई लड़ी थी। इस शहर ने अभय कुमार सिंह को एक नहीं बल्कि दो बार अभय कुमार सिंह को सांसद चुना है। अभय कुमार राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के नेतृत्व वाली यूनाइटेड रशिया पार्टी के सदस्य हैं। सिंह का विधायक बनना इस बात का सबूत है कि अमेरिका के सपने के तरह रूस में भी कुछ नामुमकिन नहीं है।
मेडिकल की पढ़ाई करने आए थे अभय कुमार सिंह
अभय कुमार सिंह साल 1991 में सोवियत संघ में मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए आए थे। वह रूस की कड़ाके की ठंड में कांप गए थे। नेपोलियन और हिटलर को भी इस ठंड ने पीछे हटने पर मजबूर कर दिया था। इस ठंड से अभय कुमार सिंह भी लगभग हार ही गए थे। उन्होंने याद करते हुए कहा कि मैं घर वापस आना चाहता था। भाषा भी उनके सामने एक सबसे बड़ी रोड़ा बन रही थी। कुर्स्क में टेंपरेचर -25 और यहां तक कि -30 तक गिर जाता था। एलेना नाम की एक डीन ने मुझे काफी हद तक संभाल लिया था। उन्होंने कहा कि वह मेरी मां की तरह ही थीं। उन्होंने ही मुझे वहां पर बसने में मदद की। यहां फिर घर जैसा ही लगा और मैं कभी वहां से वापस नहीं आया।
अभय कुमार सिंह ने कहा कि सोवियत संघ का आखिरी समय चल रहा था। भारत ने ग्लोबेलाइजेशन की दिशा में अपने कदम उठाए थे। इस समय बिहार में लालू प्रसाद यादव मुख्यमंत्री थे। सिंह ने याद करते हुए कहा कि यह भारत में बदलाव का समय था। भारत आर्थिक संकट से गुजर रहा था। जब सोवियत संघ का पतन हुआ तो समय और भी ज्यादा मुश्किल हो गया। चीजों को खरीदने के लिए घंटो लाइन में खड़े रहना पड़ता था। टीवी से लेकर खाने तक सब कुछ खरीदने के लिए टिकट की जरूरत पड़ती थी। मैंने अपनी आंखों के सामने सब कुछ बदलते हुए देखा है। उन्होंने कहा कि ऐसा कुछ भी नहीं है जो रूस में ना मिले और विकसित देशों में मिले।
रूस को नरम लोकतंत्र के जरिये नहीं चलाया जा सकता- अभय कुमार सिंह
अभय कुमार सिंह विधानसभा में इकलौते ऐसे नेता हैं जो सफेद रंग के बीच में भूरे हैं। उन्होंने कहा कि मेरे जैसे किसी भी शख्स को कभी राजनेता बनते और चुनते हुए नहीं देखा है। पुतिन के सपोर्टर अभय कुमार सिंह का मानना है कि रूस को नरम लोकतंत्र के जरिये नहीं चलाया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि सोवियत संघ के पतन के बाद रूस लड़खड़ा रहा था। जब इसकी कमान व्लादिमीर पुतिन ने संभाली तो देश इतना मजबूत हो गया कि हम एक महाशक्ति बन गए और अमेरिका के बराबर हो गए।
बिहार से हूं और राजनीति हमारे डीएनए में- अभय कुमार सिंह
राजनीति में आने के कारण के सवाल पर अभय कुमार सिंह ने कहा कि मैं बिहार से हूं और राजनीति हमारे डीएनए में है। लेकिन यह आसान नहीं हो सकता। यह अलग तरह के नियमों से चलता है। बिहार के बिल्कुल उलट जहां पर दूरी बनाना करियर के खत्म होने की तरफ इशारा करते हैं। वहीं, रूस में नेताओं को जनता से थोड़ा दूर ही रहना होता है। उन्होंने कहा कि भारतीय और रूस दोनों राजनीति को एक साथ लाने का तरीका भी निकाल लिया है। सिंह ने कहा कि वह हर महीने जनता दरबार लगाते हैं। वे यह भी कहते हैं कि बहुत सारे लोग आते हैं। मैं आने वाले हर शख्स की मदद करने की कोशिश करता हूं।