म्यांमार में बीते 1 फ़रवरी को हुए सैन्य तख्तापलट के खिलाफ चल रहे आंदोलनों में शनिवार का दिन भयंकर काल बन कर आया। सेना ने विरोध कर रहे लोगों के खिलाफ अबतक की सबसे हिंसक कार्रवाई की है। सैन्य कार्रवाई में शनिवार को 91 लोगों की मौत हो गई। फ़रवरी में शुरू हुए सेना विरोधी प्रदर्शनों में अबतक करीब 400 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं।
दरअसल 1 फ़रवरी को म्यांमार की सेना ने सरकार का तख्ता पलट कर दिया था। सेना ने म्यांमार की सर्वोच्च नेता रही आंग सान सूची समेत सरकार में शामिल सभी बड़े नेताओं को हटा दिया था। इसके बाद ही म्यांमार के कई शहरों में प्रदर्शनकारियों ने सरकार को दोबारा से बहाल करने की मांग शुरू कर दी। प्रदर्शनकारी आंग सान सूची की रिहाई की भी मांग कर रहे हैं। फ़रवरी महीने से ही सेना लगातार इन विरोध प्रदर्शनों को हथियार के दम पर कुचलने की कोशिश कर रही है।
शनिवार को आर्म्ड फोर्सेज डे के मौके पर प्रदर्शनकारियों और सेना के जवानों के बीच हिंसक झड़प हुई। इस झड़प में शनिवार को करीब 91 लोगों की मौत हो गई। कई देशों ने शनिवार को म्यांमार में हुए हिंसक कार्रवाई की निंदा की है। यूरोपियन यूनियन के म्यांमार प्रतिनिधिमंडल ने ट्विटर पर इस कार्रवाई की भर्त्सना करते हुए लिखा कि म्यांमार के 76वें आर्म्ड फोर्सेज डे को आतंक और अपमान के रूप में याद रखा जाएगा।
इससे पहले सैन्य प्रमुख मिन आंग ने शनिवार को नेशनल टेलीविजन पर अपने संबोधन में कहा कि देश में किसी भी तरह का आतंक सामाजिक सुरक्षा के लिए खतरा है और इसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। साथ ही सेना प्रमुख ने कहा कि सेना को सत्ता में इसलिए आना पड़ा क्योंकि लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई नेता आंग सांग सू ची और उनकी पार्टी ने कई अनियमितताएं की थी।
सेना प्रमुख ने यह भी कहा कि आने वाले दिनों में उनकी सरकार चुनाव कराएगी। लेकिन सेना की तरफ से अभी तक चुनाव की तारीखों का कोई भी ऐलान नहीं किया गया है। आर्म्ड फोर्सेज डे से पहले शुक्रवार को सरकारी टेलीविजन एमआरटीवी ने चेतावनी देते हुए कहा कि लोगों को बीते दिनों हुई मौतों से सबक लेना चाहिए। प्रदर्शनकारियों को कभी भी सिर में पीछे से गोली लग सकती है। साथ ही सरकारी टीवी ने प्रदर्शनकारियों के माता पिता को चेतावनी देते हुए कहा कि कुछ लोग इन प्रदर्शनों में खेल समझ कर हिस्सा ले रहे हैं इसलिए वे उन्हें प्रदर्शनों में शामिल होने से रोकें।
