विदेश मंत्रालय ने पुलवामा हमले के बाद कूटनीतिक कवायद के तहत आतंकी शिविरों के बारे में दस्तावेज (डोजियर) विभिन्न देशों के राजनयिकों के साथ साझा किए। इन डोजियर में बालाकोट शिविर के बारे में प्रमुखता से बात रखी गई है। यहां के आतंकी कमांडरों से लेकर यहां चल रही कवायद तक। बालाकोट में 42 फिदायीन हमलावरों का प्रशिक्षण चल रहा था। पुलवामा में आत्मघाती हमले के बाद कश्मीर में कई और फिदायीन हमलों की तैयारी चल रही थी, जिनकी देखरेख के लिए आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर ने पांच कमांडरों की टीम गठित कर रखी थी। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, वायुसेना के लक्षित हमले में वहां रह रहे सभी आतंकी मारे गए।
भारत के द्वारा तैयार डोजियर में दी गई तसवीरों में इस शिविर में कई जगह अमेरिका, इंग्लैंड और इजराइल के झंडे जमीन पर और सीढ़ियों पर बने दिख रहे हैं। इस शिविर की कमान पांच कमांडरों के हाथ में थी- मौलाना अम्मार (मसूद अजहर का भाई, जो कश्मीर और अफगानिस्तान में आतंकी वारदातों से जुड़ा रहा है), मौलाना तल्हा सैफ (मसूद अजहर का भाई और प्रचार विभाग का प्रमुख), मुफ्ती अजहर खान कश्मीरी (कश्मीर अभियानों का प्रमुख), इब्राहीम अजहर (मौलाना मसूद अजहर का बड़ा भाई), यूसुफ अजहर (मसूद अजहर का साला और प्रशिक्षण केंद्र का प्रमुख)। इनके बाद की कतार में जो आतंकी थे, उनमें कुछ नाम हैं- अबु बक्कर, शब्बीर हुसैन, निसार अख्तर, बिलाल अमीर, अब्दुल हफीज, शाहिद इकबाल।
आतंकी शिविरों के बारे में खुफिया सूचनाओं के आधार पर भारत सरकार ने डोजियर तैयार किया है। पुलवामा हमले के बाद भारतीय कूटनीतिकों ने 45 देशों के मिशनों के साथ संपर्क कर डोजियर साझा किया। बालाकोट कस्बे के हिल टॉप जबा टॉप पर जैश ने सबसे बड़ा आतंकी ठिकाना बनाया था, जिसे लक्षित हमले में तबाह किया गया है। पाकिस्तानी खुफिया एजंसी आइएसआइ यहां का खर्च उठाती थी। डोजियर का हवाला देते हुए विदेश सचिव विजय गोखले ने कहा कि इस शिविर में अन्य एक फिदायीन हमले की तैयारी चल रही थी। बालाकोट प्रशिक्षण केंद्र का संचालन यूसुफ अजहर उर्फ उस्ताद गौरी कर रहा था। वह काफी समय से जैश के साथ काम कर रहा था। 1999 में कंधार विमान अपहरण के जरिए मसूद भारतीय जेल से छुड़ाने के बाद वह जैश में भर्ती का काम देख रहा था। मसूद अजहर के बेटे अब्दुल्ला ने बालाकोट में ही दिसंबर 2017 में एडवांस ट्रेनिंग ली थी।
बालाकोट शिविर में पिछले तीन महीनों में जैश ने 60 आतंकियों को प्रशिक्षित किया। पुलवामा हमले के मास्टरमाइंड अब्दुल रशीद गाजी ने भी बालाकोट में ही ट्रेनिंग ली थी। यहां छह बड़ी बैरक थीं और इसकी क्षमता बढ़ाने के लिए निर्माण चल रहा था। बालाकोट 2001 में जैश के सबसे बड़े सैन्य प्रशिक्षण केंद्र के रूप में उभरा था। मसूद को यहां बहुत सी जमीन दान में दी गई थी और आइएसआइ ने बुनियादी ढांचा विकसित करने के लिए पैसे दिए गए थे। यहां कई मदरसे, मसजिद और नियंत्रण कक्ष भी थे।