हम भारतीय जैसे अंग्रेजी हुकूमत के समय हुए जलियां वाला बाग नरसंहार को नहीं भूल सकते वैसे ही चीन के इतिहास में भी उससे ज्यादा दर्दनाक नरसंहार हुआ था। पर अफसोस की ये नरसंहार खुद चीन की सरकार के कहने पर हुआ था। 30 मई से चार जून 1989 तक यानी 30 साल पहले तियानमेन चौक पर 10,000 से ज्यादा प्रदर्शनकारियों को सेना ने मशीन गन और टैंक से भून दिया था। हाल में ही एक रिपोर्ट टोरंटो यूनिवर्सिटी और हांगकांग यूनिवर्सिटी ने प्रकाशित किया था जिसमें दावा किया गया कि चीन ने इस खूनी होली को ​दुनिया से छिपाने के लिए 3,200 से ज्यादा सबूत मिटा दिए या बदल डाले।

ब्रिटिश डॉक्यूमेंट्स ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि उन दिनों जनता के प्रदर्शन से चीन की सरकार इतनी घबरा गई थी कि कम्युनिस्ट सरकार ने सेना को चौक खाली करने का आदेश दिया। इसके बाद हुई खून की होली में कम से कम 10,000 लोग मारे गए थे। लेकिन चीन ने पूरी दुनिया को यही बताया कि वहां किसी की भी जान नहीं गई। अब घटना के 30 साल बाद भी अगर चीनी मीडिया या विदेशी मीडिया उस जगह पर जाने की कोशिश करती है तो चीन ने वहां जाने के सभी रास्ते बंद कर दिए हैं।

इतनी निर्ममता का दूसरा उदाहरण पूरी दुनिया में नहीं
चीन की कम्युनिस्ट सरकार के खिलाफ छात्रों का गुस्सा इस कदर तेज हो गया था कि उसने एक आंदोलन का रूप ले लिया। तियानमेन चौक पर लगने लगा था जैसे एक नया चीन नए लोकतंत्र के साथ बनने जा रहा है। तभी सरकार के इस क्रूर रवैये से सब बर्बाद हो गया। रिपोर्ट में बताया गया है कि उस रात चौक पर प्रदर्शनकारी जाने को तैयार नहीं थे और सेना सरकार के आदेश को मानने पर विवश, नतीजा ये हुआ कि सेना ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। इससे भी काम नहीं चला तो मिलिट्री टैंक को बुला लिया गया था।

चीन 30 साल बाद फिर एक बार उस शर्मनाक स्थिति में है कि दुनियाभर को जवाब नहीं दे पा रहा है। इसकी बड़ी वजह ये है कि पूरी दुनिया में तानाशाह शासकों और ऐसे देशों को ज्यादातर देशों ने हासिए पर रख दिया है। अब चीन जोकि अपना कारोबार अमेरिका, ब्रिटेन और भारत जैसे तमाम बड़े देशों में कर रहा है, आखिर कैसे उस शर्मनाक नरसंहार पर जवाब दे। इसलिए उसने इस घटना से जुड़े हजारों सबूत मिटा दिए हैं।