भारत समेत 18 देशों ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) में बृहस्पतिवार को निर्विरोध सीटें जीत ली। इन देशों का कार्यकाल 1 जनवरी 2022 से शुरू होगा। 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा ने विश्व संगठन के पांच क्षेत्रीय समूहों द्वारा प्रस्तावित सभी 18 उम्मीदवारों को चुन लिया। बेनिन को सर्वाधिक 189 मत मिले। इसके बाद गाम्बिया को 186 मत मिले। अमेरिका 168 और इरिट्रिया 144 मतों के साथ सूची में सबसे निचले स्थानों पर रहे।
एक जनवरी 2022 से शुरू होने वाले तीन साल के कार्यकाल के लिए चुने गए 18 देशों में एशिया समूह से भारत, कजाकिस्तान, मलेशिया, कतर और संयुक्त अरब अमीरात, अफ्रीका समूह से बेनिन, गाम्बिया, कैमरून, सोमालिया और इरिट्रिया, पूर्वी यूरोपीय समूह से लिथुआनिया और मोंटेनेग्रो, लातिन अमेरिका और कैरेबियाई समूह से पैराग्वे, अर्जेंटीना और होंडुरास तथा पश्चिम देशों के समूह से फिनलैंड, लक्जमबर्ग और अमेरिका शामिल हैं। भारत, अर्जेण्टीना, कैमरून, इरिट्रिया का कार्यकाल 31 दिसंबर 2021 को समाप्त हो रहा है। जिसके बाद उन्हें दूसरे कार्यकाल के लिए चुना गया है.
मानवाधिकार परिषद के नए सदस्य का चुनाव यूएन महासभा के 193 सदस्य देशों से मिले बहुमत के आधार पर होता हैं। इस चुनाव में प्रत्यक्ष और गुप्त मतदान होता है। आमतौर पर किसी भी देश को मानवाधिकार परिषद के लिए तीन वर्ष के लिए चुना जाता है। कोई भी देश लगातार दो बार मानवाधिकार परिषद का सदस्य रहने के तुरंत बाद अपने तीसरे कार्यकाल के लिए अपनी उम्मीदवारी पेश नहीं कर सकते हैं।
मानवाधिकार परिषद के लिए इस बार चुने गए अमेरिका ने साल 2018 में यूएन की इस संस्था से अपने आप को अलग कर लिया था। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में देश ने मानवाधिकार के मामले में खराब रिकॉर्ड वाले देशों के परिषद में चयन की निंदा की थी और परिषद से स्वयं को अलग कर लिया था। अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने इस साल फरवरी में घोषणा की थी कि देश के राष्ट्रपति जो बाइडन का प्रशासन परिषद में फिर से शामिल होगा।
वहीं ह्यूमन राइट्स वाच ने मानवाधिकार परिषद के चुनाव में संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों को चुने जाने को भयानक बताया है। संयुक्त राष्ट्र में ह्यूमन राइट्स वॉच के निदेशक लुइस चारबोन्यू ने कहा कि इस साल मानवाधिकार परिषद के मतदान में प्रतिस्पर्धा न होना ‘चुनाव’ शब्द का अपमान है। उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन करने वाले कैमरून, इरिट्रिया और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों का चुना जाना एक भयानक संकेत देता है कि संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देश मानवाधिकारों की रक्षा के परिषद के मौलिक ध्येय को लेकर गंभीर नहीं हैं।
जेनेवा स्थित मानवाधिकार परिषद को मानवाधिकारों के संबंध में कुछ सदस्यों के खराब रिकॉर्ड के कारण धूमिल छवि वाले एक आयोग का स्थान लेने के लिए 2006 में गठित किया गया था, लेकिन नई परिषद को भी अब इसी कारण आलोचनाओं का शिकार होना पड़ रहा है। मानवाधिकार परिषद के नियमों के तहत, भौगोलिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए क्षेत्रों को सीटें आवंटित की जाती हैं। (जनसत्ता ऑनलाइन के साथ)