प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 100 साल पूर्व प्रथम विश्वयुद्ध में लड़ चुके भारतीय सैनिकों को रविवार को श्रद्धांजलि देते हुए विश्व शांति के प्रति भारत की बचनबद्धता दोहराई और युद्ध रहित वातावरण बनाने संकल्प लिया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी पूर्वी अफ्रीका, पश्चिमी मोर्चे, गैलीपोली व खाड़ी, चेन्नई पर समुद्री हमले और फ्रांस के आसमान में कुबार्नी दे चुके भारतीय सैनिकों को नमन किया। उन्होंने कहा कि उनकी यादों ने हमें वैश्विक सुरक्षा और वैश्विक शांति के प्रति बचनबद्ध किया है।
मोदी ने कहा, “आज प्रथम विश्वयुद्ध की समाप्ति के 100 वर्ष पूरे होने पर हम विश्व शांति के प्रति अपनी बचनबद्धता दोहराते हैं और सद्भाव व भाईचारे का माहौल बनाने के लिए कार्य करने का संकल्प लेते हैं, ताकि फिर से युद्ध के कारण मौतें और तबाही न हो।” प्रथम विश्वयुद्ध के सैनिकों को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत युद्ध में प्रत्यक्ष रूप से शामिल नहीं था, लेकिन हमारे सैनिकों ने सिर्फ शांति के लिए विश्व भर में लड़ाइयां लड़ी। मोदी ने कहा, “मुझे फ्रांस के न्यूवे-चैपल मेमोरियल और इजरायल के हाइफा में स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित करने का सम्मान मिला। ये स्थान प्रथम विश्वयुद्ध में भारत की भूमिका से जुड़े हुए हैं।”
उन्होंने कहा, “जब इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू भारत आए थे तो हमने तीनमूर्ति हाइफा चौक पर श्रद्धांजलि अर्पित की थी।” प्रथम विश्वयुद्ध 28 जुलाई, 1914 से 11 नवंबर, 1918 तक चला था।
सीएनएन के मुताबिक, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों रविवार सुबह अज्ञात सैनिक की समाधि पर श्रद्धांजलि के साथ अंतर्राष्ट्रीय युद्धविराम दिवस स्मरणोत्सव का नेतृत्व किया। यह समाधि पेरिस में आर्क डी ट्रौम्फ के नीचे स्थित है। मैक्रों ने यहां पहुंचे गणमान्य अतिथियों के सामने एक भाषण दिया। लाखों सैनिकों और नागरिकों ने इस युद्ध में जान गंवाई थी, जिसे ग्रेट वॉर के नाम से जाना जाने लगा। साथ ही इसमें लाखों लोग घायल भी हुए थे।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रथम महिला मेलानिया ट्रंप इस स्मरणोत्सव के लिए पेरिस में हैं। अमेरिका में भी इसे वेटरान्स डे के रूप में मनाया जा रहा है। प्रथम विश्व युद्ध में करीब 117,000 अमेरिकी सैनिक मारे गए थे।इसके अलावा शाही परिवार, ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे और जर्मनी के राष्ट्रपति फ्रेंक वॉल्टर स्टीनमेयर भी वेस्टमिनस्टर अब्बे में नेशनल सर्विस ऑफ रिंबेंबरेंस में हिस्सा लेंगे।

