दुनिया के बहुत से देशों में महिलाओं का खतना किया जाता है। इन देशों में से एक है अफ्रीकी देश सोमालिया। यहां भी छोटी बच्चियों को खतना जैसी जटिल और दर्द भरी प्रक्रिया का सामना करना पड़ता है। खतना जिसे फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन (एफजीएम) कहा जाता है, इस प्रक्रिया से पिछले हफ्ते सोमालिया में एक 10 साल की बच्ची की मौत हो गई, जिसके बाद अब खतना मामले में सोमालिया में पहली बार मुकदमा चलने वाला है। 17 जुलाई को बच्ची की मां ने उसका खतना कराया था, जिसके ठीक दो दिन बाद ही उसकी मौत हो गई।
बच्ची की मौत के बाद से ही इस घटना की निंदा की जा रही है। सोमालिया में एंटी-एफजीएम ग्रुप्स ने इस मामले को गंभीरता से लेते हए मृतक बच्ची के लिए न्याय की गुहार लगाई है। एंटी-एफजीएम ग्रुप्स के कड़े विरोध के बाद सोमालिया की सरकार ने ऐलान किया है कि खतने के संबंध में देश में पहली बार मुकदमा चलाया जाएगा। सोमालिया के डिप्टी पीएम महदी मोहम्मद गुलेड का कहना है कि बच्ची की मौत से यह संदेश मिल रहा है कि अब एफजीएम को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
रिपोर्ट्स के मुताबिक बुधवार को ग्लोबल मीडिया कैंपेन द्वारा एफजीएम को खत्म करने के उद्देश्य से एक कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया था। यहां डिप्टी पीएम गुलेड ने कहा, ‘सोमालिया में एफजीएम समाप्त करने के लिए यह एक ऐतिहासिक क्षण है। 21वीं सदी में हमारे देश में अब ऐसा नहीं हो सकता। यह हमारे धर्म का हिस्सा नहीं है और न ही हमारी संस्कृति का हिस्सा रहेगा।’
बच्ची के अंतिम क्षणों में उसका इलाज करने वाले डॉक्टर्स का कहना है कि वह एफजीएम के सबसे पीड़ादायक रूप का सामना कर रही थी। डॉक्टर ने कहा, ‘उसका पूरा फीमेल जेनिटल ट्रैक हटा दिया गया था। लाबिया और क्लिटोरिस को भी काटा गया था। यह एफजीएम का चौथा प्रकार था। उसे एफजीएम के दो दिन बाद अस्पताल लाया गया था। उसे पहले ही इन्फेक्शन हो चुका था। मैंने अपनी जिंदगी में इस तरह का खतना कभी नहीं देखा था। मैंने बहुत से खतनों के केस संभाले हैं, लेकिन यह बहुत क्रिटिकल था। उसे लगातार ब्लीडिंग हो रही थी। हमने उसे बचाने की बहुत कोशिश की, लेकिन एक घंटे बाद ही उसकी मौत हो गई।’