अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के डायरेक्टर विलियम बर्न्स के साथ भारत यात्रा पर आए एक एजेंट में रहस्यमयी बीमारी के लक्षण दिखे तो हड़कंप मच गया। अमेरिका पहुंचते ही उनका परीक्षण हुआ तो जांच में पाया गया कि एजेंट में हवाना सिंड्रोम के लक्षण मिले हैं। साल 2016 में क्यूबा की राजधानी हवाना से इस बीमारी का पहला मामला सामने आया था। इसके बाद से इस बीमारी का नाम हवाना सिंड्रोम पड़ गया।

सीएनएन की रिपोर्ट्स के अनुसार, एजेंट में मिली बीमारी के लक्षण हवाना सिंड्रोम से मिलते-जुलते हैं। पिछले एक महीने में ऐसा दूसरी बार है जब अमेरिका के दो प्रमुख अधिकारियों में हवाना सिंड्रोम के लक्षण दिखे हो। पिछले महीने उपराष्‍ट्रपति कमला हैरिस का वियतनाम दौरा भी इसी खतरे की वजह से कुछ वक्‍त के लिए टालना पड़ा था। फिलहाल हवाना सिंड्रोम अमेरिका के लिए अब तक यह पहेली ही बना हुआ है।

क्या है हवाना सिंड्रोम
तकरीबन पांच साल पहले क्‍यूबा की राजधानी हवाना स्थित अमेरिकी दूतावास में तैनात अधिकारी एक-एक करके बीमार पड़ने लगे। मरीजों ने अजीब सी आवाजें सुनीं और शरीर में अजीब सी सेंसेशन महसूस की। इस अजीबोगरीब बीमारी को हवाना सिंड्रोम नाम दिया गया। पहले ये सीआईए अधिकारियों में दिखा था। अब तक करीब 200 अमेरिकी अधिकारियों, उनके परिजनों में को हवाना सिंड्रोम मिल चुका है।

सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार- हवाना सिंड्रोम के मामले अब हर महाद्वीप से आने लगे हैं। क्‍यूबा के बाद चीन, जर्मन, ऑस्‍ट्रेलिया, ताईवान और यहां तक कि वाशिंगटन डीसी में भी इसके केस मिले। इस साल की शुरुआत में ऑस्ट्रिया के विएना से भी दर्जनों मामलों कों पता चला था। भारत में हवाना सिंड्रोम के लक्षण नजर आने का यह पहला मामला है।

अमेरिकी रक्षा विभाग को लगता है कि रूस ऐसे हमले करवा रहा है। अमेरिका की राष्‍ट्रीय सुरक्षा के लिए यह बड़ा खतरा है। सीआईए के निदेशक विलियम बर्न्‍स ने कहा है कि बहुत हद तक संभव है कि यह सिंड्रोम इंसान के नियंत्रण में हो और शायद रूस इसके पीछे हो। अमेरिका के ज्‍यादातर अधिकारी मानते हैं कि यह इलेक्‍ट्रॉनिक हथियारों से किया गया हमला है। हालांकि अभी तक अंतिम नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सका है।