हिंदू धर्म में भगवान शिव की पूजा में भस्म का प्रयोग किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि भस्म भगवान शिव को काफी प्रिय होती है। भस्म को भस्मी, भभूत या विभूति के नाम से भी जाना जाता है। भगवान शिव का श्रंगार करने के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता है। बहुत से लोग अपने माथे पर भस्म लगाते हैं। भस्म लगाना जहां धार्मिक दृष्टि से काफी शुभ माना गया है तो वहीं स्वास्थ्य के लिए भी यह काफी लाभकारी साबित होता है। इसके प्रयोग से शरीर के किटाणु नष्ट हो जाते हैं। जानिए और क्या होते हैं भस्म लगाने के फायदे…

भस्म लगाने के धार्मिक कारणों की बात करें तो इससे मन एकाग्र होता है। साथ ही यह भी कहा जाता है कि जो व्यक्ति अपने शरीर पर भस्म का प्रयोग करता है उससे नकारात्मक ऊर्जा दूर रहती है। भस्म लगाने से इंसान और भी ज्यादा संवेदनशील हो जाता है। मान्यता है कि इसके इस्तेमाल से पापों से मुक्ति मिल जाती है। मन शांत होता है। खासकर सोमवार के दिन विभूति लगाने से मनुष्य को अपने कार्यों में सफलता हासिल होती है। शिवलिंग पर भस्म लगाने से शिव की कृपा प्राप्त होती है और राहु के दोष होने पर शिव को भस्म अर्पित करके माथे पर उसका तिलक लगाने से दोष दूर होते हैं। मस्तिष्क, गले, छाती, कंधों और ह्रदय पर भस्म लगाया जाता है। वैसे तो बाजार में भी भस्म उपलब्ध होते हैं लेकिन लोग अपने घर पर भी इसे बना सकते हैं। गाय के गोबर में घी मिलाकर इसे तैयार किया जा सकता है। इसे बनाने का दूसरा तरीका है चावल की भूसी से इसे तैयार करना। किसी यज्ञ के पूरा होने के बाद इसका इस्तेमल करना ज्यादा शुभ माना जाता है।

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भस्म स्वास्थ्य कारणों से भी काफी शुभ मानी जाती है। इसे लगाने से मौसम का विपरित प्रभाव नहीं पड़ता है। त्वचा संबंधी रोगों के लिए भी भस्म काफी लाभदायक मानी जाती है। भस्म में शरीर के अंदर स्थित दूषित द्वव्य को सोखने की क्षमता होती है। इसी कारण से शरीर के संधि, कपाल, छाती के दोनों हिस्से तथा पीठ आदि पर भस्म का लेप लगाने से कई तरह के चर्म रोग नहीं होते हैं।