आज वट सावित्री का व्रत है। यह व्रत सुहागिनें अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती है। इस व्रत में बरगद के पेड़ का काफी महत्व होता है। क्योंकि वट यानी बरगद के पेड़ में ब्रह्मा, विष्णु और शिव तीनों भगवान का वास माना जाता है इसलिए इसकी पूजा करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य और उन्नति की प्राप्ति होती है। यह व्रत हर साल ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या को मनाया जाता है। इस बार इस व्रत वाले दिन काफी शुभ भी संयोग बन रहे हैं। क्योंकि इस दिन सोमवती अमावस्या, सर्वार्थसिद्ध योग, अमृतसिद्ध योग के साथ-साथ त्रिग्रही योग लग रहा है। इस दिन महिलाएं 16 श्रृंगार करती हैं।

क्यों रखा जाता है यह व्रत

इस व्रत को लेकर कहा जाता है कि जब नवविवाहिता सावित्री के पति सत्यवान के प्राण यमराज हरकर जाने लगे तो सावित्री अपने पति के प्राण वापस लाने के लिए यमराज के पीछे पड़ गई और तब तक उन्होंने उनका पीछा नहीं छोड़ा जब तक यमराज ने उनके पति के प्राण वापस नहीं दे दिये।

वट सावित्री व्रत का शुभ मुहूर्त

अमावस्‍या तिथि प्रारंभ: 02 जून 2019 को शाम 04 बजकर 39 मिनट से
अमावस्‍या तिथि समाप्‍त: 03 जून 2019 को दोपहर 03 बजकर 31 मिनट तक

इस तरह से करें पूजा

इस व्रत में विवाहित महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं। फिर सुबह नहाने के बाद 16 शृंगार करके हाथों में प्रसाद लें। प्रसाद के रूप में थाली में गुड़, भीगे हुए चने, आटे से बनी हुई मिठाई, कुमकुम, रोली, मोली, 5 प्रकार के फल, पान का पत्ता, धुप, घी का दीया, एक लोटे में जल और एक हाथ का पंखा लेकर बरगद पेड़ के नीचे जाएं। फिर पेड़ की जड़ में पानी चढा कर प्रसाद चढ़ाएं और धूप तथा दीपक जलाएं। उसके बाद पति की लंबी उम्र की कामना करें और सावित्री मां से आशीर्वाद लें। उसके बाद बरगद के पेड़ के चारों तरफ कच्चे धागे या मोली को 7 बार बांधकर प्रार्थना करें। फिर पति के पैर धोएं और उनका आशीर्वाद लें। इस अवसर पर सुहागिनें एक-दूसरे को सिंदूर लगाती हैं। इसके अलावा पुजारी से सत्यवान और सावित्री की कथा सुनती हैं।