हिंदू पंचांग के अनुसार दसवें महीने को पौष कहा जाता है। इस महीने में हेमंत ऋतु का प्रभाव रहता है इसलिए ठंडक रहती है। इस महीने में सूर्य अपने विशेष प्रभाव में रहता है, इस महीने में मुख्य रूप से सूर्य की उपासना फलदायी होती है। इस महीने में सूर्य 11 हजार रश्मियों के साथ ऊर्जा देता है, पौष मास में सूर्य की नियमित उपासना करने से व्यक्ति स्वस्थ, संपन्न रहेगा। इस बार पौष मास 23 दिसंबर से 21 जनवरी तक रहेगा। पौष के महीने में हर रविवार को सूर्यदेव को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखने की भी परंपरा है।

पौष मास में इस तरह करें सूर्य की उपासना – रोज सुबह स्नान करने के बाद सूर्य को जल अर्पित करें। तांबे के पात्र से जल दें। जल में रोली और लाल फूल डालें, इसके बाद सूर्य के मंत्र ऊं आदित्याय नम: का जाप करें। इस माह नमक का सेवन कम से कम करें।

खान-पान में कैसी सावधानी बरतें – खाने-पीने में मेवे और स्निग्ध चीजों का इस्तेमाल करें। चीनी की बजाय गुड़ का सेवन करें। अजवाइन, लौंग और अदरक का सेवन लाभकारी होता है, इस महीने में ठंडे पानी का प्रयोग, ज्यादा खाना खतरनाक हो सकता है। इस महीने में बहुत ज्यादा तेल, घी का प्रयोग भी उत्तम नहीं होगा।

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पौष मास के लिए महत्वपूर्ण बातें – इस महीने में मध्य रात्रि की उपासना फलदायी होती है। इस महीने में गर्म वस्त्रों और नवान्न का दान उत्तम होता है। इस महीने में लाल और पीले रंग के वस्त्र भाग्य में वृद्धि करते हैं, घर में कपूर की सुगंध का प्रयोग स्वास्थ्य के लिए अच्छा रहता है। पौष के महीने में सूर्य की उपासना से व्यक्ति के जीवन में आ रही समस्या खत्म हो जाती है।