भोपाल से कांग्रेस के उम्मीदवार दिग्विजय सिंह के समर्थन में साधु संतों ने कंप्यूटर बाबा की अगुआई में हठयोग किया। आपको बता दें कि इस हठयोग का इतिहास काफी पुराना है। माना जाता है कि इस योग के आचार्य भगवान गोरखनाथ हैं। क्या होता है हठयोग और इसका क्या है महत्व, जानें यहां…

सदगुरु जग्गी वासुदेव के अनुसार हठ का अर्थ होता है जिद्द। यह शरीर को नया आकार देने की जिद्द होती है। शरीर को फिर से बनाने का मतलब होता है कि किन्हीं खास तरीकों से अपने अंदर ऐसी चीजों को ग्रहण करना जो आप चाहते हैं। हठयोग में आप किसी खास व्यक्ति जिसकी तरह आप बनना चाहते हैं उसकी मेमोरी को ग्रहण कर सकते हैं। जैसे की आप अपने पिता की तरह नहीं अपने परदादा की तरह बनना चाहते हैं तो आप साधना से उनकी कुछ खास मेमोरी को सक्रिय कर सकते हैं। लेकिन हथयोग में हम जेनेटिक मेमोरी से दूरी बनाने की कोशिश नहीं कर रहे हैं। हम अपने भीतर जो सबसे बेहतर है उसे लेने की कोशिश कर रहे हैं।

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हठ का ‘ह’ यानी सूर्य और ‘ठ’ यानी चंद्रमा। हठयोग का मतलब है अपने माता-पिता से सीधे ग्रहण करना। वास्तव में हमारे माता-पिता सूर्य और चंद्रमा हैं। सूर्य को पिता और माता को चंद्रमा माना गया है। हठ का एक पहलू होता है वंश के प्रभाव को एक तरफ रख देना। अब आप सीधे सूर्य और चंद्रमा से ग्रहण करना चाहते हैं। हठयोग का यही अर्थ है कि आप एक ऐसा संतुलन बनाते हैं। जिससे की बीच की कड़ियां खत्म हो जाती है और आप सीधे उससे ग्रहण करते हैं जैसा की जीवन बनाया गया था। बीच में सदियों की पीढ़ियों द्वारा बहुत सारा भ्रष्टाचार हो चुका है। आप उसे मिटाकर माता-पिता यानी सूर्य और चंद्रमा से ग्रहण करते हैं। अगर ढाई साल तक आप हर दिन साधना करते हैं तो आपको अपनी आंखों को बंद करने के बाद चंद्रमा की कलाएं पता चलनी चाहिए। अगर आप आत्मज्ञान भी पाना चाहते हैं और एक शक्तिशाली जीवन भी तो हठ एक अहम पहलू बन जाता है।