ज्योतिष के अनुसार मंगल ग्रह रिश्ते का मालिक माना गया है। खास तौर पर महिलाओं के जीवन में जो उनका गायनिक सिस्टम है, उसके पीछे भी मंगल की बड़ी भूमिका है। चूंकि रिश्तों और संतान को मंगल प्रभावित करता है इसलिए मंगल की भूमिका अहम हो जाती है। ज्योतिष के मुताबिक जब कुंडली के लग्न में यानि पहले खाने में, चौथे खाने में, सातवें खाने में, आठवें खाने में या बारहवें खाने में हो तो कहा जाता है कि कुंडली मांगलिक है। आगे जानते हैं कि क्या मंगलोक होना कोई दोष है? साथ ही मंगली का मांगलिक के साथ ही विवाह क्यों होता है?
ज्योतिष शास्त्र के जानकार यह मानते हैं कि यह जरूरी नहीं है कि हर जगह जो मंगल का प्रभाव होगा वही प्रभाव सब की कुंडली में एक ही जैसा होगा। कुंडली में पहले और आठवें खाने का मंगल सबसे ज्यादा बुरे परिणाम देते हैं। वहीं यदि मंगल दोष अन्य भाव से बन रहा है तो मंगल दोष उतना बुरा नहीं होता। अगर किसी जातक की कुंडली में मंगल दोष है तो कुंडली मिलाकर शादी करनी चाहिए। ताकि आगे चकलर रिश्तों में दिक्कत पैदा न हो। साथ ही संतान होने में कोई दिक्कत न हो। ऐसे में इसके लिए कुंडली मिलाकर ही विवाह करने की सलाह दी जाती है।
[bc_video video_id=”5992789334001″ account_id=”5798671092001″ player_id=”JZkm7IO4g3″ embed=”in-page” padding_top=”56%” autoplay=”” min_width=”0px” max_width=”640px” width=”100%” height=”100%”]
इसके अलावा यदि किसी एक की कुंडल में मंगल दोष है और दूसरे की कुंडली में मंगल दोष नहीं है तो भी शादी की जा सकती है। बशर्ते की दूसरे की कुंडली में उसका समाधान मौजूद हो। ज्योतिष में मंगल दोष के लिए कुछ उपाय बताए गए हैं। जिसके मुताबिक मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए। साथ ही मंगल दोष के मामले में बजरंगबाण का पाठ करना हमेशा लाभदायक होता है। इसलिए नियमित रूप से कम से कम एक बार बजरंगबाण का पाठ जरूर करें।
साथ ही हनुमान जी से प्रार्थना करें कि मंगल दोष की समस्या जो आपके पास है वह दिक्कत दूर हो जाए। दूसरा उपाय ये है कि हर मंगलवार को हनुमान जी के मंदिर जाएं, उनका दर्शन करें और उन्हें प्रसाद चढ़ाएं। ज्योतिष के जानकार ऐसा कहते हैं कि अगर ये उपाय किए जाए तो कुंडली का मंगल दोष ठीक हो जाता है।