बीड़ी-सिगरेट व अन्य तंबाकू उत्पादों का सेवन करने वाले लोग ना केवल अपने जीवन से खिलवाड़ करते हैं बल्कि घर-परिवार की जमा पूंजी को भी इलाज पर फूंक देते हैं। यह पूरे विश्व की समस्या बन चुकी है। इसी को ध्यान में रखते हुए हर साल 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है। जिसके जरिए लोगों को तंबाकू के खतरों के प्रति सचेत किया जाता है। इस बार कोरोना संक्रमण के चलते सोशल मीडिया, फेसबुक लाइव, रेडियो/वीडियो प्रसारण व विज्ञापनों के जरिए धूम्रपान के खतरों के बारे में लोगों को जागरूक किया जा रहा है। इस बार कार्यक्रम की थीम युवाओं पर आधारित है- ‘प्रोटेक्टिंग यूथ फ्रॉम इंडस्ट्री मैनिपुलेशन एंड प्रिवेंटिंग देम फ्रॉम टोबैको एंड निकोटिन यूज’।
जिला तंबाकू नियंत्रण प्रकोष्ठ की सलाहकार डॉ. श्वेता खुरान के मुताबिक धूम्रपान करने या अन्य किसी भी रूप में तंबाकू का सेवन करने वालों को करीब 40 तरह के कैंसर और 25 अन्य गंभीर बीमारियों की चपेट में आने की आशंका रहती है। इसमें मुंह व गले का कैंसर प्रमुख है। इसके अलावा इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर पड़ जाती है, जिससे संक्रामक बीमारियों की चपेट में भी आने की पूरी संभावना रहती है। यह समय वैसे भी कोविड संक्रमण के चलते कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वालों के लिए खतरनाक है।
स्टेट टोबैको कंट्रोल सेल के सदस्य व किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. सूर्यकांत ने टेलीफोनिक वार्ता में बताया कि बीड़ी-सिगरेट व अन्य तंबाकू उत्पादों के सेवन से आज हमारे देश में हर साल करीब 12 लाख लोग यानि करीब तीन हजार लोग हर रोज दम तोड़ देते हैं। इसके चलते सार्वजनिक स्थलों और स्कूलों के आस-पास बीड़ी-सिगरेट व अन्य तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर रोक के लिए केंद्र सरकार सन 2003 में सिगरेट एवं अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम (कोटपा) ले आई है, जिस पर सख्ती से अमल की जरूरत है, तभी स्थिति में सुधार देखने को मिल सकता है।