World Parkinson’s Day 2020: पार्किंसन्स डिजीज एक न्यूरोडीजेनेरेटिव विकार है जो दिमाग के डोपामाईन बनाने वाले हिस्से को प्रभावित करता है। डोपामाइन एक केमिकल है जो किसी भी संदेश को दिमाग तक पहुंचाने में मदद करती है। इस केमिकल को बनाने वाली सेल्स में नयूरोडीजेनेरेशन होने के कारण लोग इस रोग से पीड़ित हो जाते हैं। इस बीमारी के चलते इंसान चलने-फिरने में भी अक्षम हो जाता है, बोलने में समस्या होने लगती है और हाथ कांपने लगते हैं। हालांकि, अमेरिकी पेशेवर मुक्केबाज मुहम्मद अली, फेमस स्टैंडअप कॉमेडियन बिली कॉनोली और अमेरिकी एक्टर रॉबिन विलियम्स पार्किंसन्स रोग से ग्रसित थे, लेकिन इन्होंने कभी इसे कामयाबी के आड़े नहीं आने दिया। आज वर्ल्ड पार्किंसन्स डे के मौके पर आइए एक्सपर्ट से जानते हैं क्या है ये बीमारी और कैसे करें इससे जुड़े लक्षणों की पहचान-
क्या है पार्किंसन्स डिजीज: मेदांता के न्यूरोलॉजी विभाग के डायरेक्टर डॉ. विनय गोयल के अनुसार ये बीमारी जीवन के चौथे से छठे दशक में होता है। वहीं, 25 फीसदी मरीज ऐसे हैं जिनकी उम्र 25 वर्ष से भी कम है। इसे पीडी के नाम से भी जाना जाता है और ये बीमारी धीरे-धीरे बढ़ती चली जाती है। इसके मुख्य लक्षणों में आराम करते समय हाथ कांपना, हिलने-डुलने में धीमापन और हाथ पैर में अकड़न शामिल हैं। जैसे-जैसे ये रोग बढ़ता जाता है, वैसे-वैसे इससे संबंधित लक्षण भी विकसित होने लगते हैं।
कैसे होती है इस रोग की पहचान: डॉक्टरों के मुताबिक पार्किंसन्स रोग का निदान विशेषज्ञों के लिए मुश्किल नहीं है, लेकिन शुरुआती अवस्था में ये मुश्किल हो जाता है। इस बीमारी की जटिलतताओं को रोकने के लिए ये जरूरी है कि इसका इलाज समय पर शुरू हो जाए। उन्होंने बताया कि इस बीमारी का इलाज लक्षणों के आधार पर किया जाता है। लक्षणों को जांचने के लिए मरीज के ब्रेन का एमआरआई, TRODAT स्कैन और FDG PET टेस्ट करवाने पड़ते हैं। शुरुआत में पीडी रोग का प्रबंधन देखभाल, जीवनशैली में बदलाव, व्यायाम और योग के द्वारा किया जा सकता है। हालांकि, बीमारी बढ़ने के साथ कई तरह के इलाज की जरूरत होती है जिसमें ब्रेन सर्जरी तक शामिल है।
ये उपाय आएंगे काम: इस रोग के असर को कम करने के लिए नियमित रूप से व्यायाम करना बहुत जरूरी है। व्यायाम का दिमाग के स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक असर पड़ता है। एरोबिक एक्सरसाइज करने से दिमाग की सूजन कम होती है जिससे रोग के लक्षणों को कंट्रोल किया जा सकता है। इसके अलावा, मरीजों के लिए पौष्टिक आहार भी बेहद आवश्यक है। मछली, अंडे और अखरोट ओमेगा 3 फैटी एसिड से भरपूर होते हैं। इनके सेवन से डीजेनेरेशन को नियंत्रित करने, कोलेस्ट्रॉल का स्तर संतुलित करने और इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद मिलती है। इसके अलावा, ब्रोकली, पालक, हरी पत्तेदार सब्जियां, मटर और चिकपी का सेवन भी फायदेमंद है। वही, स्ट्रेस कम लेने और योग-ध्यान करना भी पीडी के मरीजों के लिए लाभदायक है।
