शरीर के जिस हिस्से में कोशिकाएं असमान्य रूप से बढ़ती है। उसे उसी हिस्से के कैंसर के नाम से जाना जाता है। वैश्विक स्तर पर कैंसर मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में दुनिया भर में प्रत्येक वर्ष 10 मिलियन कैंसर के नए मामले सामने आते हैं। वहीं भारत में प्रत्येक वर्ष 16 मिलियन कैंसर से संबंधित नए मामले दर्ज किए जाते हैं।
डब्ल्यूएचओ की इस रिपोर्ट में भारत में लगभग 7,84,800 लोगों की मौत कैंसर के कारण हो जाती है। डब्ल्यूएचओ के नए अनुमानों के अनुसार, भारत में प्रत्येक 10 भारतीयों में से एक को अपने पूरे जीवनकाल में कैंसर विकसित होने की संभावना है और 15 में से एक व्यक्ति की मौत कैंसर के कारण हो सकती है। भारत में होने वाले छह मुख्य कैंसर में स्तन कैंसर, मुंह का कैंसर, सर्वाइकल कैंसर, फेफड़े का कैंसर, पेट का कैंसर और कोलोरेक्टल कैंसर शामिल है। वहीं ओवेरियन कैंसर महिलाओं को होने वाला कैंसर है। ओवेरियन कैंसर में महिलाओं की ओवरी में कैंसरसवाली सेल्स का निर्माण होने लगता है।
ओवेरियन कैंसर एक ऐसी बीमारी है जहां हमारे शरीर की कोशिकाएं एबनॉर्मल रूप से बढ़ने लगती हैं और उनकी संख्या बढ़कर एक ट्यूमर बना लेती है। यह ट्यूमर जब टूट कर पूरे शरीर में फैल जाता है तो इस अवस्था को कैंसर कहा जाता है। ओवरी का कैंसर महिलाओं के शरीर में ओवरी के अंदर शुरू होने वाली कोशिकाओं की अनियंत्रित ग्रोथ की वजह से होता है।
यह अंडाशय से शुरू होता है। महिलाओं में पाई जाने वाली प्रजनन ग्रंथियों को अंडाशय कहते हैं। यह प्रजनन के लिए अंडों का उत्पादन करता है। फैलोपियन ट्यूब्स की सहायता से ये अंडे गर्भाशय में जाते हैं। गर्भाशय में ये अंडे निषेचित प्रवेश करते हैं और भ्रूण में विकसित होते हैं। आइए जानते हैं ओवेरियन कैंसर के लक्षण, कारण, प्रकार और बचाव के तरीके-
ओवेरियन कैंसर के कारण (Causes of Ovarian Cancer)
एक्सपर्ट के मुताबिक जिन महिलाओं ने कभी भी गर्भधारण नहीं किया, उन्हें ओवेरियन कैंसर का खतरा अधिक रहता है। वहीं, जीवनकाल में कभी भी गर्भनिरोधक ना लेने वाली महिलाओं को भी ओवेरियन कैंसर का खतरा अधिक रहता है। पीरियड्स कम उम्र में शुरू होना और मोनोपॉज काफी देर से होना, प्रजनन क्षमता में कमी, बढ़ती उम्र, अनुवांशिक, ओव्युलेशन्स की संख्या, अधिक मोटापा और ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों को भी ओवेरियन कैंसर का खतरा रहता है।
कितने प्रकार के होते हैं ओवेरियन कैंसर (Types of Ovarian Cancer)
- एपिथेलियल ओवेरियन कैंसर (Epithelial Ovarian Cancer)
- फैलोपियन ट्यूब कैंसर (Fallopian Tube Cancer)
- ओवेरियन ट्यूमर (Borderline Ovarian Tumours)
- अंडाशयी टेराटोमा (Ovarian Teratoma)
- प्राइमरी पेरिटोनियल कैंसर (Primary Peritoneal Cancer)
- अंडाशयी ग्रैनुलोसा ट्यूमर (Granulosa Tumour Of The Ovary)
ओवेरियन कैंसर के स्टेज (Stage of Ovarian Cancer)
स्टेज 1: पहला स्टेज महिलाओं के लिए अधिक खतरनाक नहीं होता है। इसमें कैंसर की कोशिकाएं अंडाशयों तक ही सीमित है।
स्टेज 2: दूसरे स्टेज में कैंसर की एंडोमेट्रियोइड कार्सिनोमा तक फैल सकता है।
स्टेज 3: तीसरे स्टेज तक आते-आते कैंसर की कोशिकाएं पेट तक फैल चुका होता है।
स्टेज 4: इस स्टेज में कैंसर की कोशिकाएं पेट से बाहर या अन्य अंगों तक फैल चुका होता है। इस स्टेज पर आते-आते डॉक्टर्स को इलाज करना काफी मुश्किल होता है।
ओवेरियन कैंसर के लक्षण (Symptoms of Ovarian Cancer)
- योनि में असामान्य रूप से स्त्राव
- अपच की शिकायत
- बिना खाए पेट भरा-भरा सा महसूस होना
- कमर या पेल्विक में दर्द होना
- शरीर के निचले हिस्से में दर्द होना
- मल त्यागने में परेशानी होना
- यौन क्रिया के दौरान दर्द महसूस होना
- कब्ज की शिकायत
- बार-बार यूरिन आना
- पेट में दर्द होना
ओवरियन कैंसर से बचाव के उपाय क्या हैं?
संतुलित और पौष्टिक डाइट लें, नियमित एक्सरसाइज करें, तंबाकू के सेवन से परहेज करें, वजन को संतुलित रखें, समय से प्रेग्नेंसी प्लान करें और बच्चे को ब्रेस्टफीड कराएं, मेनोपॉज के बाद हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी कराने से भी ओवेरियन कैंसर का रिस्क कम होता है। एक्सपर्ट्स के अनुसार, इन बातों का ध्यान रखकर और कुछ सावधानियां बरतकर कैंसर के रिस्क को कम किया जा सकता है।
ओवरियन कैंसर का पता कैसे लगाएं (Test For Ovarian Cancer)
- सीबीसी (Complete Blood Count)
- कैंसर एंटीजन 125 लेवल का टेस्ट (Test for Cancer Antigen 125 Levels)
- HCG लेवल का टेस्ट
- बायोस्कोपी
- इमेंजिंग्स टेस्ट
- मेटास्टाटिस टेस्ट
- अल्फा-फेटोप्रोटीएन (Alpha-Fetoprotein) का टेस्ट
- गुर्दे के जांच