मांसाहारियों के लिए मछली भोजन का एक बेहतरीन विकल्प है। मछली में स्वाद के साथ भरपूर मात्रा में पोषक तत्व भी मौजूद होते हैं। यह ओमेगा 3 फैटी एसिड और प्रोटीन का बेहतरीन स्रोत होते हैं। अच्छी सेहत के लिए मछली को अपनी डाइट में शामिल करना सही है लेकिन बरसात के मौसम में ऐसा करना हानिकारक हो सकता है। मानसून में मछली का सेवन सेहत के लिहाज से सही नहीं है। आइए, जानते हैं कि इस बारे में विशेषज्ञ क्या कहते हैं।

मानसून में क्यों करना चाहिए मछली से परहेज-

मछलियों का प्रजननकाल – मानसून मछलियों के प्रजनन का मौसम होता है। सिर्फ मछली ही नहीं समस्त समुद्री जीवों का प्रजनन काल मानसून का मौसम होता है। ऐसे में जब आप मछली के अंडों के साथ उसका सेवन करते हैं तो इससे पेट में संक्रमण या फूड प्वाइजनिंग की समस्या हो सकती है। इसलिए, मानसून में मछली के सेवन से परहेज करना ही सही है।

डिकंपोजिशन – मानसून में जल स्रोतों में सीवर के पानी द्वारा प्रदूषित हो जाने की काफी संभावना होती है। ऐसे में मछली खाना बिल्कुल सेहतमंद नहीं हो सकता। इससे मछली में सड़न आने लगती है। इसलिए, बारिश के मौसम में मछली की जगह चिकन और मटन खाने पर विचार किया जा सकता है।

बासी मछलियां – मानसून में जो मछलियां बेची जाती हैं उनमें ज्यादातर प्री-पैक यानी कि संग्रहित होती हैं। मछलियों को 10 दिनों से ज्यादा फ्रीजर में रखा जाए तो उनकी गुणवत्ता खराब हो जाती है। ऐसे में यह आपकी सेहत के लिए सही नहीं हो सकतीं।

प्रदूषित – मानसून में नदियों या तालाबों का पानी ज्यादातर प्रदूषित रहता है। ऐसे पानी में जब मछलियां पैदा होती हैं तो वह भी दूषित ही होती हैं। ऐसी मछलियों के सेवन से पानी से फैलने वाली बीमारियों जैसे – टाइफाइड, दस्त, पीलिया आदि के होने की संभावना बढ़ जाती है।

डिब्बाबंद मछलियां – मछलियों को ज्यादा दिनों तक सुरक्षित रखने के लिए कई रासायनित तत्वों का इस्तेमाल किया जाता है। मछलियों को बैक्टीरिया तथा खमीर उठने से बचाने के लिए उन पर सल्फाइट्स और पॉली-फास्फेट जैसे रासायनिक तत्वों का छिड़काव किया जाता है। ऐसी मछलियां खाने से सांस तथा दिल से संबंधित रोगों के होने का खतरा बढ़ जाता है।

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