Lunar Eclipse or Chandra Grahan July 2019: आने वाली 16 जुलाई को चंद्रग्रहण है। इसी दिन आषाढ़ शुक्ल की पूर्णिमा यानी गुरु पूर्णिमा पड़ रहे यही जिसका हिन्दू धर्म में बेहद महत्व है। यह चंद्रग्रहण करीब 3 घंटे तक रहने वाला है। यह चंद्रग्रहण भारत में देखा जा सकता है और इसलिए इसका असर पूजा-पाठ पर भी होगा। हिंदू मान्यताओं के अनुसार चंद्रग्रहण में 9 घंटे पहले सूतक लग जाता है। इस दौरान मंदिरों के कपाट बंद कर दिये जाते हैं और मूर्ति स्पर्श की मनाही होती है। सिर्फ धार्मिक रूप से ही नहीं, वैज्ञानिक रूप से भी ग्रहण को बुरा माना जाता है। वैज्ञानिकों की मानें तो ग्रहण के समय वातावरण में ऐसी तरंगें पैदा होती हैं जो स्वास्थ्य पर बुरा असर करती हैं। सेहत के साथ ये तरंगें व्यक्ति के व्यवहार में भी बदलाव लाती हैं। गुस्सा और चिड़चिड़ापन देखने को मिलता है। इसका सबसे बुरा प्रभाव पति-पत्नी के रिश्ते पर पड़ता है। ग्रहण में लोगों को सावधान रहना चाहिए और कुछ नियमों का पालन करना चाहिए।
क्या करें-
1) घर से बाहर ना निकलें
चंद्रग्रहण के समय वातावरण हमारे अनुकूल नहीं होता है। धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों की राय में किसी भी अनहोनी के होने की संभावना ज्यादा होती है। ऐसे में किसी को भी घर से बाहर अकेले नहीं निकलना चाहिए।
2) शारीरिक संबंध ना बनाएं
शास्त्रों के अनुसार, ग्रहण के समय पति-पत्नी को शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिए। मगर वैज्ञानिक रूप से भी इस बात को तवज्जो दी जाती है। वैज्ञानिकों की राय में ग्रहण के दौरान संबंध बनाना सेहत और रिश्ते दोनों पर बुरा प्रभाव लाता है। व्यवहार में आ रहे बदलाव प्यार के की बजाय गुस्से को जन्म देते हैं, जो कि सही नहीं है।
3) बाहर खाने से बचें
चंद्रग्रहण के दौरान वैज्ञानिक दृष्टि से भी कुछ खाना-पीना नहीं चाहिए। वातावरण की हानिकारक तरंगें खाने को दूषित कर देती हैं। ऐसे में अगर लोग घर से बाहर निकलकर कुछ खाने समय-पीने का सोच रहे हैं तो इसे कुछ समय के लिए टाल दें। यहां तक कि घर पर भी इस दौरान खाने से बचना चाहिए।
4) वाद-विवाद से बचें
चंद्रग्रहण के समय लोगों को अपने स्वभाव पर नियंत्रण रखने की जरूरत होती है। जब भी लगे कि किसी के साथ बात विवाद में बदल सकती है तो कुछ समय के लिए एक दूसरे से दूरी बना लें। ग्रहण के दौरान आपका बढ़ता हुआ गुस्सा और चिड़चिड़ापन मुद्दे को बढ़ा देगा और फिर परिस्थिति पर काबू पाना मुश्किल हो जाएगा।
5) चंद्रग्रहण में 3 पहर पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए। बुजुर्ग, बालक और रोगी डेढ़ प्रहर पूर्व तक खा सकते हैं। जिन पदार्थों में कुश या तुलसी की पत्तियां डाल दी जाती हैं, वे पदार्थ दूषित नहीं होते। ग्रहण वेद के प्रारंभ में तिल या कुश मिश्रित जल का उपयोग नहीं करना चाहिए। ग्रहण शुरू होने से अंत तक अन्न या जल नहीं लेना चाहिए। ग्रहण के समय तुलसी और शमी के पेड़ को नहीं छूना चाहिए।
क्या ना करें-
1)चंद्रग्रहण के समय तीन सूखे नारियल और सवा किलो सतनाजा प्रातरू दान में दें या जल प्रवाह करने से भी ग्रहण का प्रभाव कम होता है। जिनकी कुंडली में चंद्रग्रहण का दोष हो तो उनको अपने जीवनकाल में पड़ने वाले हर पूर्ण सूर्य ग्रहण एवं चंद्रग्रहण के समय सूर्य अथवा चंद्रमा का दान करना चाहिए। इसमें काले तिल, सफेद तिल, काली उड़द एवं गेहूं शामिल है। किसी एक ग्रहण पर तुला दान अवश्य करें।
2)गर्भावस्था की स्थिति में ग्रहण के समय अपने कमरे में बैठ कर के भगवान का भजन ध्यान मंत्र या जप करें। ग्रहण के बाद घर की अच्छी तरह सफाई करें और पूरे घर में धूप या अगरबत्ती का धुआं दिखाएं। चंद्रग्रहण के बाद पितरों को याद करें व उनके नाम पर दान दें। ऐसा करने से ग्रहण का प्रभाव उतर जाएगा। ग्रहण के बाद शिव पूजा भी फायदेमंद मानी गई है। अगर आप ये पूजा किसी मंदिर में जाकर करें तो बेहतर होगा।
3)कई वैज्ञानिक शोधों में यह बात कही जा चुकी है कि ग्रहण के समय मनुष्य की पाचन शक्ति बहुत शिथिल हो जाती है। ऐसे में पेट में दूषित भोजन और पानी जाने पर बीमार होने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में ग्रहण से पहले ही जिस पात्र में पीने का पानी रखते हों उसमें कुशा और तुलसी के कुछ पत्ते डाल देने चाहिए। कुशा और तुलसी में ग्रहण के समय पर्यावरण में फैल रहे जीवाणुओं को संग्रहित करने की अद्भुत शक्ति होती है।
4) चंद्र देव की आराधना करना चाहिए। चंद्र मंत्र ‘ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृत तत्वाय धीमहि तन्नो चन्द्रः प्रचोदयात्’ का जप करें। चंद्रग्रहण समाप्त होने के बाद घर में शुद्धता के लिए गंगाजल का छिड़काव करें।
इन बातों को अगर ध्यान में रखा जाए तो चंद्रग्रहण के नकारात्मक असर से बचा जा सकता है।

