Thyroid Diet Tips: थायरॉइड की बीमारी आज के समय में बहुत ही आम हो गई है। पहले ये बीमारी उम्रदराज लोगों को अपनी चपेट में लेती थी, बदलते समय में युवा भी उससे पीड़ित हो रहे हैं। थायरॉयड भी इन्हीं में से एक है। इस बीमारी के 5 प्रकार होते हैं जिसमें से हाइपो थायरॉयड और हाइपर थायरॉयड के मामले सबसे अधिक देखने को मिलते हैं। पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में थायरॉयड का खतरा 2 गुना ज्यादा होता है। 18 से 35 साल की महिलाएं, खासकर प्रेग्नेंट लेडीज को इस बीमारी से दूर रहने के लिए अपना विशेष ख्याल रखना चाहिए।

हाइपर थायरॉयडिज्म में थायरॉयड ग्लैंड जरूरत से ज्यादा थायरॉक्सिन हार्मोन पैदा करता है जिससे हमारा मेटाबॉलिज्म प्रभावित होता है। साथ ही साथ, इस स्थिति में वजन अचानक से काफी कम हो जाता है। लापरवाह जीवन-शैली और अनहेल्दी खानपान के कारण ज्यादातर लोग इस बीमारी से पीड़ित हो रहे हैं। देखा गया है कि हार्मोन से जुड़ी बीमारियों को मैनेज करना मुश्किल होता है। लेकिन अगर लोग कुछ खाद्य व पेय पदार्थों का सेवन पूरी तरह बंद कर दें, तो इस बीमारी से बचा जा सकता है।

पालक, ब्रोकली और गोभी: इन हरी सब्जियों को क्रुसिफेरस सब्जियों की श्रेणी में रखा जाता है। पालक, ब्रोकली और गोभी में भरपूर मात्रा में फाइबर मौजूद होता है जो आम लोगों के लिए भले ही स्वास्थ्यवर्धक हों, लेकिन थायरॉयड के मरीजों के लिए नुकसानदायक हो सकता है। एक अध्ययन के अनुसार इनमें गोइट्रोजेन्स होते हैं जो हाइपोथायरॉयडिज्म के मरीजों के लिए परेशानी खड़ी कर सकते हैं।

सोया व उससे बने उत्पाद: सोयाबीन को प्रोटीन भंडार माना जाता है, यही कारण है कि ये ज्यादातर लोगों को पसंद होता है। हालांकि, थायरॉयड मरीजों को सोयाबीन या फिर इससे बने किसी भी उत्पाद जैसे सोया चाप, सोया बड़ी या फिर सोया मिल्क के सेवन से परहेज करना चाहिए। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार ज्यादा सोया खाने से हाइपर थायरॉइडिज्म का खतरा बढ़ता है।

चावल, ब्रेड और पास्ता: इन तीनों ही खाद्य पदार्थों में ग्लूटेन पाया जाता है जो थायरॉयड के मरीजों के लिए हानिकारक माना जाता है। गेहूं, जौ, राई व अन्य साबुत अनाजों में पाया जाने वाला ग्लूटेन एक प्रकार का प्रोटीन होता है जो कि थायरॉयड हार्मोन को अनियमित करने के लिए जिम्मेदार होता है। एक अध्ययन में इस बात की पुष्टि हुई है कि ग्लूटेन फ्री खाना खाने से थायरॉयड कंट्रोल में रहता है।

इन 7 फूड आइटम्स के अलावा, हाइपरथायरॉयडिज्म के मरीजों को चाय, कॉफी और ग्रीन टी का सेवन भी कम या फिर न के बराबर ही करनी चाहिए। वहीं, शराब भी इन मरीजों के लिए घातक हो सकता है।