तेज तर्रार दिमाग की चाहत हर इंसान की होती है। बढ़ता तनाव, खराब डाइट और बिगड़ता लाइफस्टाइल दिमाग की सेहत को बिगाड़ रहा है। अक्सर लोग सेहत को नजरअंदाज करते हैं। बॉडी में लक्षण दिखने के बाद भी सावधानी नहीं बरततें। दिमाग हमारी बॉडी का सबसे जरूरी अंग है जो पूरी बॉडी पर काबू करता है और उसे सिग्नल पास करता है। तनाव, खराब डाइट आपकी याददाश्त को खराब कर देती है और आपकी तरक्की के रास्ते भी बंद कर देती है।
तेज तर्रार दिमाग के लोग हर फील्ड में आगे रहते हैं। उनकी स्कूल से लेकर प्रोफेशनल लाइफ तक दुरुस्त रहती है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक कुछ खराब आदतें आपकी मानसिक सेहत को बिगाड़ रही हैं। खाने में अल्कोहल से भरपूर फूड्स का सेवन दिमाग को जंग लगा रहा है। खान-पान और लाइफस्टाइल की छोटी-छोटी लापरवाही आपकी मानसिक सेहत के लिए घातक है। आइए जानते हैं कि कौन सी आदतें हैं जो आपकी याददाश्त को कम कर रही हैं और आपके दिमाग को पंगु बना रही हैं।
बॉडी एक्टिविटी में कमी होना
कई रिसर्च में ये बात साबित हो चुकी है कि बॉडी एक्टिविटी याददाश्त और एकाग्रता जैसे संज्ञानात्मक कार्यों को बढ़ाती है। बॉडी को एक्टिव रखने से यह न्यूरोजेनेसिस, या न्यूरॉन्स को तेजी से पैदा करती है। तनाव और बॉडी एक्टिविटी में कमी होने से एंडोर्फिन का स्तर कम होता है। यह असंतुलन मूड को प्रभावित करता है और मानसिक सेहत को भी नुकसान पहुंचाता है। मस्तिष्क की कार्यक्षमता और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए नियमित रूप से बॉडी को एक्टिव रखना जरूरी है।
लाउड म्यूजिक सुनना दिमाग के लिए है खतरा
लगातार तेज़ संगीत सुनने से सुनने की क्षमता प्रभावित होती है और तनाव का स्तर बढ़ सकता है,जो बदले में संज्ञानात्मक गिरावट का कारण बन सकता है। तेज़ आवाज़ वाला संगीत शरीर के अंदर कोर्टिसोल के स्तर को बढ़ा देगा, जो सीधे मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करेगा और चिंता का कारण बनेगा। अगर आप संगीत सुनते हैं तो धीमी आवाज में सुने आपकी मानसिक सेहत में सुधार होगा।
शुगर वाले फूड्स का अधिक सेवन दिमाग के लिए घातक
बहुत अधिक चीनी युक्त भोजन का सेवन करना आपके दिमाग के लिए घातक है। कई रिसर्च में ये बात साबित हो चुकी है कि शुगर के स्तर में बढ़ोतरी होने से याददाश्त कम होती है और संज्ञानात्मक कार्यों में कमी आती है। चीनी सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव का कारण बन सकती है, जो मस्तिष्क की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाती है और यहां तक कि न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों का कारण भी बन सकती है। हाई शुगर वाले फूड्स का सेवन से इंसुलिन प्रतिरोध भी हो सकता है, जो मस्तिष्क की मेटाबॉलिज्म कार्यप्रणाली को प्रभावित करता है। इन फू़ड्स का सेवन करने से संज्ञानात्मक प्रदर्शन खराब होता है।
सूरज की रोशनी कम लेने से दिमाग पर असर
कम धूप लेने से मानसिक समस्याएं बढ़ती हैं। सेरोटोनिन और मेलाटोनिन – न्यूरोट्रांसमीटर के उत्पादन में रुकावट आती है। ये हॉर्मोन मूड विनियमन और सुचारू नींद के लिए जरूरी हैं। सूरज की रोशनी सेरोटोनिन के स्तर को बढ़ाती है और अवसाद का जोखिम कम करती है। पर्याप्त रोशनी के बिना चिंता और अवसाद बढ़ सकता है।
तनाव याददाश्त करता है प्रभावित
लम्बे समय तक तनाव में रहने से याददाश्त प्रभावित होती है। लंबे समय तक तनाव कोर्टिसोल के स्तर को बढ़ाता है जो मस्तिष्क के कार्यों में बाधा पैदा करता है।