Eyecare Tips: उम्र बढ़ने के साथ लोगों को शारीरिक समस्याएं भी होने लगती हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस स्थिति में लोगों को आंखों से जुड़ी परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है। हमारी आंखें बेहद नाजुक व डेलिकेट होती है, इसलिए इनका अधिक ध्यान रखने की जरूरत होती है। वहीं, इस कोरोना काल में ज्यादातर लोग वर्क फ्रॉम होम यानि कि घर से ही काम कर रहे हैं। इससे आंखों पर बहुत ज्यादा स्ट्रेन या दबाव पड़ता है जो सेहत के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं है। लगातार लैपटॉप पर नजरें गड़ाए रखने से आंख से संबंधित कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा, आइए जानते हैं कि बढ़ती उम्र में आंखों से संबंधित क्या परेशानियां होती हैं।
प्रेसबायोपिया: 40 साल से अधिक उम्र में प्रेसबायोपिया का खतरा अधिक हो जाता है। इस स्थिति में नजदीकी चीजों को देखने में दिक्कत का सामना करना पड़ता है। इस बीमारी में जो मांसपेशियां नजदीकी चीजों को देखने वाले लेन्स को सपोर्ट करता है, उसमें अकड़न पैदा होती है। उम्र के इस पड़ाव को पार करने के बाद अक्सर लोगों को किताबें या फिर अक्षरों को पढ़ने में दिक्कत हो सकती है।
ड्राय आई सिंड्रोम: आंखों में सूखापन यानि ड्राई आई सिंड्रोम में या तो आंख में आंसू कम बनने लगते हैं या फिर उनकी गुणवत्ता अच्छी नहीं रहती। इसके लक्षणों में आंखों में सूखापन महसूस होना, खुजली व जलन का एहसास, हर वक्त इन्हें मलते रहने की जरूरत महसूस होना शामिल है। इसके अलावा अगर लोगों को ऐसा महसूस हो जैसे कि आंखों में कुछ गिर गया हो, बिना कारण आंखों से पानी निकलना, बिना कारण आंखों में थकान या सूजन व इनका सिकुड़ कर छोटा हो जाना भी ड्राई आई के लक्षण हैं। बढ़ता प्रदूषण, कम्प्यूटर-लैपटॉप का प्रयोग, ए.सी. की लत, दर्द निवारक, तनाव, उच्च रक्तचाप आदि ड्राई आई सिन्ड्रोम के प्रमुख कारण होते हैं।
मोतियाबिंद: आंखों में मोतियाबिंद की परेशानी भी बढ़ती उम्र की निशानी है। इस बीमारी में आंखों में मौजूद लेन्स अपनी पारदर्शिता खोने लगती है जिससे सब कुछ धुंधला नजर आने लगता है। अगर शुरुआती समय में इस बीमारी का पता चल जाए तो चश्मे में बदलाव करके इसे ठीक किया जा सकता है। नहीं तो, सर्जरी की मदद से इस परेशानी को ठीक किया जा सकता है।