डायबिटीज सुनने में बहुत ही आम-सी बीमारी लगने लगी है। लेकिन इस बीमारी को घातक बनते देरी नहीं लगती। डायबिटीज की बीमारी में शुगर का स्तर लो या हाई होता रहता है। अच्छे स्वास्थ के लिए शुगर मरीज को रक्त शर्करा का स्तर संतुलित रखना बहुत जरूरी होता है। क्योंकि ब्लड शुगर हाई हो या फिर लो दोनों ही स्थिति में जानलेवा खतरा बना रहता है। लेकिन दोनों के ही लक्षण और इलाज अलग होते हैं। आज हम बात करने वाले हैं ‘लो ब्लड शुगर’ के बारे में।
सहयाद्रि हॉस्पिटल पुणे के endocrinologist के डॉक्टर उदय फडके कहते हैं कि हर एक व्यक्ती को कभी न कभी अपने जीवन में हाइपोग्लाइसीमिया यानी की लो ब्लड शुगर हो ही जाता है। अगर शुगर काफी लो हो जाए तो ये भयावह रूप ले सकता है और मरीज की हालत गंभीर हो सकती है।
डॉक्टर उदय फडके बताते हैं सामान्यत: शुगर का स्तर 80 या उससे अधिक हो सकता है। जब शुगर का स्तर 70 तक पहुंचता है तो हमारा मस्तिष्क हमारे शरीर को इशारा करता है। जो की ब्लड शुगर लो होने के लक्षण के रूप में हमें पता चलता है।
लो ब्लड शुगर के लक्षण: ठंड लगना, पसीना आना, कांपना, थोड़ी-थोड़ी भूख लगना, हृदय गति बढ़ जाना इत्यादि ये सारे लो ब्लड शुगर के शुरुआती लक्षण हैं। अगर आप शुरुआत में ही इन लक्षणों को पहचान लेंगे तो दिक्कत नहीं होती है। लेकिन जब शुगर 60 या 55 से नीचे जाता है तब ऐसी स्तिथि में मरीज का दिमाग सही से काम नहीं करता। मरीज सुस्त पड़ जाता है। अगर सही समय से इलाज न किया जाए तो वो बेहोश होने लगता है और कई बार तो मौत तक हो जाती है।
हाइपोग्लाइसीमिया का उपचार: डॉक्टर उदय फडके ये सलाह देते हैं कि अगर आपको लगता है कि शुगर का स्तर लो हो रहा है, तो आप पहले ग्लूकोमीटर से शुगर जरूर चेक कर लीजिए। कभी-कभी यह किसी अन्य बीमारी का लक्षण भी हो सकता है। अगर ग्लूकोमीटर नहीं है ऐसे परिस्थिति में मरीज को कार्बोहाइड्रेट दें। आप फल का जूस, 2 से 3 चम्मच चीनी को पानी में भी घोल कर दे सकते हैं, एक चॉकलेट का बार खिला सकते हैं, दो से तीन चम्मच चीनी को कॉफी या चाय में घोल कर भी पिला सकते हैं।