यूरिक एसिड को कंट्रोल करने के लिए डाइट में प्यूरीन से भरपूर फूड जैसे मीट,समुद्री फूड,ऑर्गन मीट, बीन्स,दालें, शराब, बीयर, कुछ सॉस खासतौर पर मीट से बने सॉस से परहेज करना जरूरी है। इन फूड्स में प्यूरीन भरपूर होता है जो तेजी से यूरिक एसिड का स्तर बढ़ाता है। प्यूरीन डाइट का अधिक सेवन करने से बॉडी में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ता है, जो जोड़ों में जमा होकर गाउट का कारण बन सकता है। गाउट की परेशानी में जोड़ों में दर्द, सूजन और जोड़ों में जलन होती है।

जिन लोगों का यूरिक एसिड हाई है वो प्यूरीन डाइट से परहेज करें और डाइट में कुछ देसी नुस्खों को शामिल करें। कुछ देसी हर्ब्स ऐसे हैं जो यूरिक एसिड के स्तर को कंट्रोल करने में मदद करते हैं। कच्ची हल्दी औषधीय गुणों से भरपूर मसाला है जो यूरिक एसिड के स्तर को कंट्रोल करने में बेहद मददगार साबित होती है।

हेल्थलाइन की खबर के मुताबिक रोजाना अगर कच्ची हल्दी का सेवन उसका जूस निकाल कर, दूध के साथ, उसका काढ़ा बनाकर ये लेप बनाकर किया जाए तो जोड़ों के दर्द और सूजन को कंट्रोल किया जा सकता है। हाई यूरिक एसिड को कंट्रोल करने में कच्ची हल्दी दवा की तरह काम करती है। आइए जानते है कि कच्ची हल्दी का सेवन कैसे यूरिक एसिड को कंट्रोल करता है और इसका सेवन करने से बॉडी को कौन-कौन से फायदे होते हैं।

कच्ची हल्दी का सेवन कैसे यूरिक एसिड को कंट्रोल करता है

हेल्थलाइन के मुताबिक कच्ची हल्दी में करक्यूमिन मौजूद होता है जो एंटी इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर है। कच्ची हल्दी का सेवन करने से जोड़ों के दर्द और सूजन को कंट्रोल करने में मदद मिलती है। रोजाना कच्ची हल्दी का काढ़ा या दूध पीने से गाउट की वजह से होने वाली सूजन को कंट्रोल किया जा सकता है। कच्ची हल्दी किडनी के कार्य को बेहतर करने में भी मदद करती है जिससे बॉडी में इसके स्तर में कमी आती है। शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर कच्ची हल्दी शरीर में फ्री रेडिकल को नष्ट करती हैं और कोशिकाओं की हिफाजत करती है। यूरिक एसिड के कारण होने वाले जोड़ों के दर्द को दूर करने में कच्ची हल्दी दवा की तरह काम करती है।

गाउट के मर्ज का इलाज करने के लिए कितनी हेल्दी पर्याप्त है?

हेल्थलाइन की खबर के मुताबिक गठिया के इलाज के लिए हल्दी की कोई खास अनुशंसित खुराक नहीं है। आर्थराइटिस फाउंडेशन, ऑस्टियोआर्थराइटिस के लिए दिन में तीन बार 400 से 600 मिलीग्राम हल्दी का सेवन करने की सलाह देता है। आर्थराइटिस फाउंडेशन भी रुमेटीइड गठिया के लिए दिन में दो बार 500 मिलीग्राम लेने की सलाह देता है। अगर आपको कोई मेडिकल प्रोब्लम है तो अपने डॉक्टर की सलाह पर ही इसका सेवन करें।

कच्ची हल्दी के फायदे

  • रोजाना खाने में दूध के साथ एक चम्मच कच्ची हल्दी का सेवन करने से हाथ-पैरों के दर्द और सूजन को कंट्रोल किया जा सकता है। हल्दी में करक्यूमिन नामक एक शक्तिशाली एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होता है जो सूजन को कम करने में मदद करता है।
  • हल्दी का सेवन करने से पाचन दुरुस्त रहता है। यह पेट की गैस, एसिडिटी और अपच जैसी समस्याओं को ठीक करने में मदद करती है।
  • कच्ची हल्दी में एंटीऑक्सीडेंट और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जो स्किन को हेल्दी, जवान और खूबसूरत बनाते हैं।
  • हल्दी का सेवन करने से इम्यूनिटी मजबूत होती है और बीमारियों से भी बचाव होता है।
  • कच्ची हल्दी कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करती है और दिल के रोगों से बचाव करती है।
  • कच्ची हल्दी में मौजूद करक्यूमिन कैंसर कोशिकाओं के बढ़ने को रोकने में मदद करता है और कैंसर का उपचार करता है।

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