Health News, Corona Virus, New Study, Cause, Prevention, Treatment: चीन में कोरोना वायरस अब महामारी की तरह फैल गया है। वहां, कोरोना वायरस से होने वाली मौतों का आंकड़ा बढ़कर अब 811 पर पहुंच गया है। इस बीच जामा (JAMA) के मेडिकल जर्नल में छपे एक बड़े शोध में इस बात का खुलासा हुआ है कि कोरोना वायरस के शुरुआती 138 मरीजों में से 41 प्रतिशत मरीज वुहान के एक अस्पताल में ही इस वायरस से संक्रमित हुए। डॉक्टरी भाषा में इसे नोसोकोमियल ट्रांसमिशन कहा जाता है जिसका मतलब है कि उस बीमारी ने अस्पताल में ही जकड़ा है। शुरुआत के लगभग आधे इंफेक्शन अस्पताल से ही लोगों के बीच फैले हैं।
क्यों है ज्यादा खतरनाक: सीएनएन की एक खबर के अनुसार, कोरोना वायरस में सिर्फ लोगों से ही संक्रमण नहीं फैलता है, बल्कि ब्रॉन्कोस्कोपी जैसे मेडिकल प्रोसीजर से भी लोग इस वायरस से पीड़ित हो रहे हैं। ब्रॉन्कोस्कोपी में डॉक्टर मरीज के फेफड़े में एक ट्यूब घुसाते हैं जिससे इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। अस्पताल के अलग-अलग हिस्सों में कई हेल्थकेयर वर्कर्स और सामान्य लोग इस वायरस की चपेट में आ रहे हैं।
‘डॉक्टर्स को है अधिक खतरा’ : इस रिपोर्ट की मानें तो, कोरोना वायरस के इस हद तक संक्रमित होने के कारण डॉक्टर्स और अन्य हेल्थकेयर वर्कर्स में इसके फैलने की संभावना सबसे अधिक है। वैसे लोग जो कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजों की देखभाल करते हैं उनको अधिक सतर्कता बरतने की जरूरत है। सर्दी-जुखाम के तरह ही इस वायरस को रोकना भी लगभग असंभव है, हालांकि, स्वास्थ्य और समाज पर पड़ने वाले इस वायरस के असर को कम किया जा सकता है।
किस तरह बरतें सावधानी: रिपोर्ट के अनुसार, इस वायरस से पीड़ित मरीजों की देखभाल कर रहे लोग और डॉक्टर्स को चार अलग-अलग तरीकों के कंट्रोल से इस वायरस के संपर्क में आने से बचाया जा सकता है।
1. सोर्स कंट्रोल- इसके अंतर्गत मरीजों को दूसरे लोगों से मिलने की अनुमति नहीं दी जाती जिससे संक्रमण का खतरा कम होता है। इसके अलावा, सभी लोगों को मास्क पहनने की सलाह भी दी जाती है। वहीं, अस्पतालों में भी विजिटर्स पर पाबंदी लगाई जा सकती है, साथ ही ये ध्यान रखा जाना चाहिए कि बीमार हेल्थ वर्कर कोई भी काम न करें।
2. इंजीनियरिंग कंट्रोल- इसके पूरे अस्पताल में पार्टिशन होने चाहिए ताकि लोग सुरक्षित रहें और संक्रमण का खतरा कम हो सके। इसके अलावा, दुषित हवा का दोबारा संचार नहीं होना चाहिए। साथ ही, अस्पताल के हर कोने में साफ-सफाई होनी चाहिए।
3. एडमिनिस्ट्रेटिव कंट्रोल- सभी मरीजों से उनके सिम्पटम्स जानने की कोशिश करें। इसके अलावा, कांसी-सर्दी से पीड़ित लोगों को मास्क पहनने के लिए प्रोत्साहित करें। साथ ही इस बात का ख्याल रखना बेहद जरूरी है कि कोरोना वायरस के मरीज दूसरे लोगों से दूरी बनाकर खड़े रहें।
4. पर्सनल कंट्रोल- हाथ धोने से लेकर रेस्पिरेटरी हाईजीन तक, ये सभी चीजें पर्सनल कंट्रोल में आती हैं। वैसे फेस मास्क जिनका इस्तेमाल बार-बार किया जा सके, डॉक्टर्स अथवा हेल्थ वर्कर्स के लिए एक बेहतर विकल्प साबित होंगे। इसके साथ ही मरीजों के साथ-साथ खुद का ध्यान रखना भी बहुत जरूरी है।