लिवर हमारे शरीर का सबसे बड़ा आंतरिक अंग है। लिवर हमारे शरीर को स्वस्थ रखने के लिए कई जरूरी काम करता है, इसलिए इसे बॉडी का पावर हाउस और डिटॉक्स सेंटर भी कहा जाता है। लिवर शरीर का सबसे बड़ा आंतरिक अंग है, जिसे शरीर का प्राइमरी रिपेयर शॉप भी कहा जाता है। लेकिन ज्यादातर समय यह दूसरे अंगों की समस्याओं के कारण पीछे छूट जाता है। अधिकतर लोग लिवर को सिर्फ एक डिटॉक्सिफाइंग ऑर्गन के रूप में जानते हैं जो शरीर से टॉक्सिन्स को निकालने का काम करता है, चाहे वो प्रदूषण से आए हों या भोजन के माध्यम से।
आप जानते हैं कि लिवर बाइल बनाता है जो फैट को पचाने के लिए जरूरी है। ये एनर्जी स्टोर करता है,प्रोटीन बनाता है,इम्यूनिटी मजबूत करता है, विटामिन और मिनरल्स को स्टोर करता है। लिवर के बिना शरीर टॉक्सिन्स को साफ नहीं कर सकता, खाना ठीक से नहीं पचता और ऊर्जा का संतुलन बिगड़ जाता है। इसलिए लिवर को स्वस्थ रखना बहुत जरूरी है।
आयुर्वेद में लिवर को हेल्दी रखने के लिए जिस हर्ब का जिक्र किया जाता है वो है नीम। नीम जिसे अपने डिटॉक्सिफाइंग, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुणों के लिए जाना जाता है। आयुर्वेदिक एक्सपर्ट आचार्य बालकृष्ण के मुताबिक नीम न सिर्फ लिवर बल्कि पूरे शरीर को कई फायदे पहुंचाता है, जो विज्ञान और परंपरागत ज्ञान दोनों पर आधारित हैं। आइए जानते हैं कि नीम का सेवन कैसे लिवर को हेल्दी रखता है और इससे बॉडी को कौन-कौन से फायदे होते हैं।
नीम और लिवर हेल्थ
नीम की पत्तियों में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर में मौजूद बाहरी और आंतरिक टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद करते हैं। ये एंटीऑक्सिडेंट्स फ्री रेडिकल्स को खत्म करते हैं, जिससे लिवर कोशिकाओं की ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से हिफाजत होती है। पशुओं पर की गई रिसर्च के मुताबिक नीम की पत्तियों का अर्क दवाइयों में पाए जाने वाले हानिकारक रसायनों से लिवर को होने वाले नुकसान से बचा सकता है। यह लिवर एंजाइम्स को स्थिर करता है और एंटीऑक्सीडेंट लेवल को बढ़ाता है। लिवर को हेल्दी रखने के लिए आप नीम का सेवन उसका पानी बनाकर कर सकते हैं।
दांत और मसूड़ों की सेहत के लिए अमृत है नीम (Oral Health)
परंपरागत रूप से नीम की दातुन का उपयोग होता रहा है। Journal of Pharmacognosy Reviews 2015 के अनुसार नीम में मौजूद तत्व मुंह में बैक्टीरिया की वृद्धि को रोकते हैं। यह प्लाक रोकने में मददगार साबित होता है। मसूड़ों की सूजन कम करने में और कैविटी बनने से बचाव करने में नीम की दातून बेहद असरदार साबित होती है। नीम के पत्तों का पानी बनाकर उससे रोज कुल्ला किया जाए तो मुंह की बदबू दूर होती है, दांतों के दर्द और मसूड़ों की सूजन से निजात मिलती है।
इम्यूनिटी होती है बूस्ट
नीम के एंटीमाइक्रोबियल गुण आंत में होने वाले संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं। नीम में ऐसे तत्व मौजूद होते हैं जो शरीर के इम्यून सिस्टम को मजबूत करते हैं। कुछ शोध बताते हैं कि नीम के यौगिक कैंसर कोशिकाओं के निर्माण को रोकने में भी सहायक हो सकते हैं।
पाचन के लिए भी हैं असरदार(Digestive Aid)
नीम की पत्तियां पाचन को दुरुस्त करने में भी असरदार साबित होती है। कच्ची और कोमल नीम की पत्तियां पेट की समस्या, अम्लता (acidity) कम करने में मददगार साबित होती हैं। इन पत्तियों का सेवन करने से हानिकारक बैक्टीरिया नष्ट होते हैं और कोलन की सफाई होती है। ब्लड को शुद्ध करने के लिए नीम के पत्ते असरदार साबित होते हैं।
सूजन कम करने में (Anti-inflammatory) भी है असरदार
नीम के एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण जोड़ों के दर्द, गठिया और शरीर की सूजन में राहत देने में मदद करते हैं। नीम की पत्तियों को पानी में उबालकर उसका गुनगुना पानी तैयार करें। इस पानी से दर्द या सूजन वाली जगह की सिकाई करने पर आराम मिलता है और सूजन कम होती है।
रोज पानी में उबाल कर इन पत्तों को पी लें, पैरों से लेकर बॉडी के हर अंग की सूजन और दर्द होगी गायब, आचार्य बालकृष्ण ने बताया इसे अमृत
