Fatty Liver Diet Plan: हेपेटिक स्टीटोसिस जिसे आम भाषा में फैटी लिवर कहा जाता है, इसमें लिवर के आसपास अतिरिक्त फैट का निर्माण होने लगता है। ये एक ऐसी बीमारी है जो गलत खानपान व अनहेल्दी आदतों के कारण होती है।इस बीमारी में लोगों के लिवर में सूजन हो जाती है और वो संकुचित होने लगता है। खाना पचने में अधिक समय लगना, अचानक वजन घटना, कमजोरी और थकान इस बीमारी के प्रमुख लक्षण हैं। आमतौर पर फैटी लिवर के 3 प्रकार होते हैं जिनमें स्टीटोहैपेटाइटिस, स्टीटोसिस और नॉन-एल्कोहॉलिक स्टीटोहैपेटाइटिस शामिल हैं। स्टीटोहैपेटाइटिस जहां शराब के अत्यधिक सेवन के कारण होता है, वहीं, नॉन-एल्कोहॉलिक स्टीटोहैपेटाइटिस के लक्षण उन लोगों में सामने आते हैं जो शराब के सेवन नहीं करते हैं।

फैटी लिवर के मरीजों को खाना पचाने में दिक्कत होती है, ऐसे में उन्हें अपने खानपान का विशेष ध्यान रखना पड़ता है। आयुर्वेद के अनुसार इस बीमारी से ग्रसित लोगों के लिए दूध पीने को भी हानिकारक माना गया है। आइए जानते हैं किनसे करना चाहिए परहेज –

दूध: लिवर में वजा जमा होना, सूजन या फिर संकुचित हो जाना अथवा गांठें जिसे फाइब्रॉइड्स कहा जाता है, ये सभी दिक्कतें फैटी लिवर से पीड़ित मरीजों को हो सकती हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि इन मरीजों को प्रोटीन की अधिकता वाले खाद्य पदार्थों को डाइट में शामिल नहीं करना चाहिए। दूध में भी प्रोटीन प्रचुर मात्रा में होता है, ऐसे में इसके सेवन से भी बचना चाहिए। साथ ही, दूध को पचाने में वक्त भी अधिक लगता है और सूजन व फैट भी बढ़ने लगता है।

ज्यादा नमक-चीनी खाने से बचें: जरूरत से ज्यादा चीनी व नमक खाने से भी फैटी लिवर की समस्या उत्पन्न होती है। इसलिए मरीजों को कैंडी, कुकीज, सोडा व पैक्ड फ्रूट जूस से दूरी बना लेनी चाहिए। हाई ब्लड शुगर के कारण लिवर में ज्यादा मात्रा में फैट बनने लगता है। वहीं, नमक के अधिक सेवन से शरीर में पानी की मात्रा ज्यादा हो जाती है।

जंक फूड: आज के फास्ट जेनेरेशन में फास्ट फूड का सेवन ज्यादातर लोगों को पसंद होता है। लेकिन इसमें मौजूद मसाले, तीखापन और अन्य चीजें लिवर के लिए घातक साबित हो सकती हैं। पास्ता, पिज्जा, बर्गर, फ्रेंच फ्राईज़ अथवा कोल्ड ड्रिंक्स के अधिक सेवन से लोगों में फैटी लिवर का खतरा बढ़ता है।