लंग्स कैंसर या फिर फेफड़ों का कैंसर जिसे फेफड़े का कार्सिनोमा भी कहा जाता है, एक ऐसी बीमारी है जिसमें फेफड़ों में असामान्य कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं। यह कैंसर फेफड़ों में शुरू होता है या शरीर के किसी दूसरे हिस्से से फेफड़ों में फैल सकता है। फेफड़ों का कैंसर दुनिया भर में कैंसर से होने वाली मौतों का एक प्रमुख कारण है। फेफड़ों के कैंसर का पता लगाने के लिए मेडिकल साइंस में कुछ टेस्ट मौजूद हैं जैसे एक्स-रे, सीटी स्कैन, MRI, पेट स्कैन और बायोप्सी।

फेफड़ों का कैंसर होने के लिए कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं जैसे धूम्रपान करना, सेकेंड हैंड स्मोक के संपर्क में रहना, पर्यावरण में मौजूद रसायनों के संपर्क में रहना, अनहेल्दी डाइट का सेवन और अनहेल्दी लाइफस्टाइल जिम्मेदार है। इस बीमारी के उपचार की बात करें तो फेफड़ों के कैंसर का इलाज सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी, टारगेटेड थेरेपी और इम्यूनोथेरेपी से किया जाता है।  

लंग्स कैंसर की शुरुआत में पहचान कर ली जाए तो इसका इलाज करना आसान होता है। लंग्स कैंसर के शुरुआत में कुछ लक्षण दिखते हैं जिन्हें अक्सर लोग इग्नोर कर देते हैं। लंग्स कैंस के प्रमुख लक्षणों में  लगातार खांसी, खांसी में खून आना, या अत्यधिक वजन घटना शामिल है। लेकिन कई बार यह बीमारी चुपचाप बॉडी में पनपने लगती है और जब सामने आती है तो काफी देर हो चुकी होती है। इस बीमारी के लक्षणों की पहचान अगर समय रहते की जाए तो आसानी से इस बीमारी से बचा जा सकता है। आइए जानते हैं कि लंग्स कैंसर के बॉडी में पनपने पर शरीर में कौन-कौन से लक्षण दिखते हैं।

कंधे में दर्द होना

कंधे के आस-पास लगातार रहने वाला दर्द आमतौर पर गलत मुद्रा, गलत तरीके से सोना या फ्रोजन शोल्डर जैसी आम समस्याओं के कारण होता है। लेकिन कुछ मामलों में कंधे में दर्द फेफड़ों के ऊपरी हिस्से में पेनकोस्ट ट्यूमर (Pancoast tumour) की वजह से भी होता है। ये दर्द कंधे से लेकर पूरे हाथ तक में फैल जाता है। इस तरह का दर्द अक्सर सामान्य पेनकिलर दवाओं या स्ट्रेचिंग से ठीक नहीं होता। अगर कंधे या हाथ में अजीब, लगातार दर्द हो और वह आम उपायों से ठीक न हो रहा हो तो इसे नजरअंदाज न करें।

आवाज़ में बदलाव होना

अगर आवाज भारी हो गई है, फटी-फटी लगती है तो हम अक्सर इसका कारण ज्यादा बोलना, ड्राई हवा या गले में हल्की खराश मान लेते हैं, लेकिन अगर आवाज़ का यह बदलाव बार-बार हो रहा है या धीरे-धीरे बिगड़ रहा है, तो यह फेफड़ों के कैंसर का शुरुआती संकेत हो सकते हैं। जब फेफड़ों में कोई ट्यूमर होता है तो आवाज़ कमजोर, सांस जैसी या बहुत धीमी सुनाई देने लगती है। अगर आपकी आवाज़ में कोई ऐसा बदलाव आ रहा है जो लगातार बढ़ रहा है, तो इसे हल्के में न लें।

एक तरफ पलक का झुकना और पुतली का छोटा होना

एक तरफ पलक का झुकना और पुतली का छोटा होना दिखने में मामूली लगता है लेकिन इसके संकेत गंभीर हो सकते हैं। आंख की पलक हल्के से झुकने के लिए या आंख की पुतली छोटी होने के लिए हम लोग आंखों की थकान, माइग्रेन या नसों की कमजोरी जिम्मेदार मानते हैं, लेकिन ये लक्षण Horner’s Syndrome कहलाते हैं। यह स्थिति तब होती है जब फेफड़ों के ऊपरी हिस्से के पास मौजूद sympathetic nerves पर कोई ट्यूमर असर डालता है, जो चेहरे की मांसपेशियों और आंखों को नियंत्रित करता हैं। ये लक्षण बहुत सूक्ष्म होते हैं और दर्द नहीं करते, इसलिए लोग अक्सर इन्हें नजरअंदाज कर देते हैं जो गलत है।

बेवजह उंगलियों का फूलना या आकार बदलना

अगर उंगलियों का आकार लगातार बदलता जा रहा है और उंगलियां फूलती जा रही है तो इसे हल्के में नहीं लें। अगर नाखूनों के आसपास की स्किन फूली हुई दिखे, नाखून नीचे की ओर मुड़ने लगें और उंगलियों के सिरे मोटे या चमकदार दिखाई दें तो यह finger clubbing हो सकता है। यह लक्षण आमतौर पर शरीर में ऑक्सीजन की कमी से जुड़े होते हैं और फेफड़ों के कैंसर में शुरुआती चरणों में भी दिखाई दे सकते हैं। ये बदलाव धीरे-धीरे हफ्तों या महीनों में होता है।

थकान जो हमेशा बनी रहे

हल्की, लगातार थकान जो आराम करने पर भी नहीं जाती तो अक्सर लोग इसे ज़िंदगी की भाग-दौड़, काम, परिवार की जिम्मेदारियां, नींद की कमी समझ लेते हैं जो गलत है। आप इस स्थिति को नजरअंदाज नहीं करें, ये कैंसर से जुड़ी थकावट हो सकती है। यह थकान ज्यादा गहरी होती है और अच्छी नींद के बाद भी बनी रहती है। फेफड़ों के कैंसर के शुरुआती चरणों में, शरीर सूजन फैलाने वाले cytokines पैदा करता है, जो लगातार ऊर्जा की कमी का एहसास कराते हैं। चूंकि यह थकान धीरे-धीरे आती है, इसलिए इसे अक्सर सामान्य थकावट मानकर नजरअंदाज कर दिया जाता है।

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