Bihar News: बिहार में पिछले साल कई बच्चे एक्यूट एंसिफिलाइटिस सिंड्रोम (AES) की चपेट में आए थे जिसका कारण ज्यादा लीची खाने को बताया गया था। हालांकि, हाल में हुए शोध में इस बात का खुलासा हुआ है कि लीची का इस बीमारी से कोई संबंध नहीं है। ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ की एक खबर के अनुसार आइसीएमआर, एम्स, नैशनल इंस्टिट्यूट फॉर न्यूट्रिशन के हेल्थ एक्सपर्ट्स और बाल विशेषज्ञों ने इस बीमारी पर स्टडी करके पाया कि पीड़ितों में से आधे बच्चों ने लीची का सेवन नहीं किया था। वहीं, अधिकतर बच्चे इतने छोटे थे जो ये फल नहीं खा सकते।
आइसीएमआर जल्द प्रस्तुत करेगी स्टडी: बच्चों के लीची नहीं खाने के खुलासे के बाद इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने जांच को बढ़ाने के ऑर्डर्स दिए हैं। बिहार में चमकी बुखार से हुई बच्चों की मौत के इतने आंकड़ों पर अब काउंसिल स्टडी करेगा। अधिकारियों के मुताबिक, इसका निष्कर्ष काउंसिल अप्रैल-मई के महीने में प्रस्तुत करेगा। इसके अलावा रिपोर्ट में बताया गया है कि भारतीय वैज्ञानिकों के साथ ही दूसरे देशों के वैज्ञानिक भी लीची को इन मौतों की वजह नहीं मानते।
लीची क्यों मानी जा रही थी बीमारी की वजह: ‘बीबीसी’ की एक रिपोर्ट की मानें तो लीची के बीज में मेथाईलीन प्रोपाइड ग्लाईसीन (एमसीपीजी) की सम्भावित मौजूदगी होती है जो कुपोषित बच्चों को मौत के कगार पर ला खड़ा करने के लिए ज़िम्मेदार माना जा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार लीची में हाइपोग्लिसीन ए और मिथाइलेन्साइक्लोप्रोपाइल्गिसीन नाम का ज़हरीला तत्व होता है जो खाली पेट खाने पर नुकसानदेह हो सकता है। ऐसे में जिनके शरीर में ग्लूकोज की मात्रा कम हो उनके लिए खाली पेट लीची खाना हानिकारक हो सकता है।
क्या हैं चमकी बुखार के लक्षण: ‘इकोनॉमिक टाइम्स’ की एक खबर के मुताबिक तेज बुखार एईएस का शुरुआती लक्षण है। तेज बुखार की वजह से कई बार बच्चे बेहोश हो जाते हैं और उन्हें दौरे पड़ने जैसी समस्या भी होती है। ऐसे समय में शरीर में ब्लड शुगर की मात्रा बहुत कम हो जाती है। इसके अलावा इससे पीड़ित बच्चों के शरीर में ऐंठन होने लगते हैं, साथ ही जबड़े और दांत भी कड़े हो जाते हैं। वहीं, दिमागी बुखार में हमारा सेंट्रल नर्वस सिस्टम काम करना बंद कर देता है।
लक्षण दिखने पर ऐसे करें बचाव: इस स्थिति में बच्चों का हाइड्रेटेड रहना बेहद जरूरी है इसलिए समय-समय पर उन्हें पानी पिलाते रहें। इसके अलावा ओआरएस और ग्लूकोज का घोल भी पिलाने से बच्चों को आराम मिलता है। तेज बुखार होने पर पूरे शरीर को ताजे पानी से पोछें और बेहोशी या दौरे आने पर उन्हें हवादार जगह पर रखें। कोशिश करें कि बच्चे भूखे न रहें और जितना हो सके उन्हें धूप में जाने से बचाएं। नमक-चीनी का घोल, छांछ, शिकंजी या तरबूज जैसी ठंडी चीजों का सेवन करना चाहिए।
